रांची। झारखंड के 13 जिलों में अवैध कोयले का खनन हो रहा है। इनमें लातेहार, हजारीबाग, रामगढ़, धनबाद, चतरा, गिरिडीह, बोकारो, रांची, दुमका, गोड्डा, पाकुड, पलामू और जामताड़ा जिला शामिल है। पिछले ढाई साल के दौरान इन 13 जिलों में कोयला के अवैध खनन को लेकर 2229 मामले दर्ज हुये हैं। गौरतलब है कि कोयले का काला खेल तीन चरणों में होता है। पहले चरण में बंद पड़े खदान या चालू खनन क्षेत्रों से गिरोह के सदस्य कोयला खनन कर एक स्थान पर एकत्रित करते हैं। दूसरे गिरोह के सदस्य एक निश्चित स्थान पर एकत्रित कोयले को साइकिल या मोटरसाइकिल पर लोड कर गिरोह के संचालक के पास पहुंचते हैं। जहां से गिरोह का संचालक ट्रकों पर लोड कर इसे बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश भेजता है। राज्य के बाहर अवैध कोयला को वैध तरीके से भेजने के लिये फर्जी चालान भी तैयार किया जाता है। या फिर एक ही चालान के माध्यम से कई वाहन अवैध तरीके से बाहर भेजे जाते हैं।

कोयला के अवैध खनन रोकने की जिम्मेवारी इनकी
कोयले का सबसे ज्यादा अवैध खनन बीसीसीएल, सीसीएल सहित अन्य कोल कंपनियों की बंद और खुली खदानों से होता है। इसके अलावा बंद मुहानों को फिर से खोदकर भी कोयले का अवैध खनन किया जाता है। अवैध खनन में तस्कर बाकायदा मजदूरों को भी दिहाड़ी में बहाल कर रखा है। वहीं एक्टिव खदानों से भी अवैध खनन का दावा है। मुख्य रूप से कोयला के अवैध खनन रोकने का जिम्मा बीसीसीएल, सीसीएल, सीआईएसएफ, ईसीएल, जिला प्रशासन, पुलिस और वन विभाग का है।

 

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version