रांची। भाजपा विधायक नारायण दास ने गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे से नाराजगी जतायी है। उन पर पार्टी संगठन और पार्टी लीडरों को दरकिनार किये जाने का आरोप लगाया है। ये सब बातें उन्होंने तब कही हैं, जब देवघर में राजमहल और दुमका लोकसभा सीटों पर हार को लेकर सोमवार को समीक्षा बैठक हुई। भाजपा के प्रदेश महामंत्री और सांसद आदित्य साहू और उपाध्यक्ष बालमुकुंद सहाय देवघर में पार्टी के स्थानीय नेताओं के साथ समीक्षा करने में जुटे थे। इसी दौरान भाजपा कार्यकर्ताआें के बीच तनातनी और मारपीट तक होने की खबर सामने आयी। इसके बाद मीडिया से बात करते देवघर विधायक नारायण दास ने अपनी ही पार्टी के सांसद निशिकांत को निशाने पर लिया। कहा कि पार्टी के पदाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक शांतिपूर्ण तरीके से चल रही थी।
इसी दौरान निशिकांत के भेजे गये गुर्गे, जो कि भाजपा से जुड़े भी नहीं थे, उन लोगों ने उनके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया। गालियां दीं। भाजपा के कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट भी की। नारायण दास ने चैलेंज करते हुए कहा कि सांसद कोई प्रमाण दिखायें, कोई आॅडियो-वीडियो लायें, जिसमें मैंने किसी को सांसद निशिकांत को वोट देने से मना किया हो। नारायण दास ने कहा कि जब इस चुनाव में निशिकांत टिकट लेकर आये तो उन्हें पत्नी के इलाज के लिए हैदराबाद जाना था। पर वह उस समय नहीं गये। होली के दिन उनके (सांसद) पास जाकर उन्हें विजय का तिलक लगाया था। बूथ कार्यकर्ता सम्मेलनों में उनकी भागीदारी निरंतर रही है। देवघर जिले का मोहनपुर पहले राजद का गढ़ था। 2014-2019 में बतौर विधायक वहां से भी सफलता मिली थी। एक दिन वहां एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि मोहनपुर ने उन्हें गोद ले लिया है या उन्होंने मोहनपुर को गोद ले लिया है, इस पर मंच पर ही निशिकांत उखड़ गये थे। यहां तक कि 2019 के विधानसभा चुनाव में निशिकांत ने उन्हें हराने का काम किया।
वे अब भी खुलेआम मेरा (विधायक) विरोध कर रहे हैं। नारायण दास के मुताबिक, वे बाइ बर्थ भाजपाई हैं, आयातित नहीं। 2009 में जब निशिकांत चुनाव (लोकसभा) लड़ने आये तो तो देवघर में पार्टी का कार्यालय तक नहीं था। उन्हें (निशिकांत) कोई जानता तक नहीं था। उनकी जीत के लिए उन्होंने उनका जूता तक उठाया है। अब वे कहते हैं कि पार्टी संगठन से उनको मतलब नहीं। संगठन ने उन्हें नहीं जिताया। वे महागामा के अशोक कुमार, गोड्डा विधायक अमित मंडल वगैरह के पक्ष में भी नहीं रहते। ऐसे नेता के इस आचरण को लेकर प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व को सुध लेनी चाहिए। उनके गुर्गों ने जो हरकत की है, उसकी जितनी निंदा हो, कम है।