मुंबई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने मानसून सामान्य रहने के अनुमान को देखते हुए चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मुद्रास्फीति (महंगाई) के अनुमान को 4.50 फीसदी पर बरकरार रखा है। यह पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के 5.40 फीसदी के अनुमान से कम है। हालांकि, आरबीआई ने इसके साथ ही खाद्य कीमतों के परिदृश्य पर करीबी नजर रखने की जरूरत पर बल दिया है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को यहां द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय समीक्षा बैठक के बाद फैसलों की जानकारी दी। दास ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को 4.5 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। उन्होंने बताया कि पहली तिमाही में मुद्रास्फीति के 4.9 फीसदी, दूसरी तिमाही में 3.8 फीसदी, तीसरी तिमाही में 4.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 4.5 फीसदी रहने की संभावना है।

शक्तिकांत दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति मार्च-अप्रैल पहली तिमाही में नरम पड़ी है लेकिन खाद्य मुद्रास्फीति पर लगातार दबाव की वजह से आम आदमी को इसका लाभ नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि दालों तथा सब्जियों की मुद्रास्फीति दो अंक में बनी हुई है। दास ने कहा कि दालों तथा सब्जियों की रबी की आवक पर सावधानी से निगाह रखने की जरूरत है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक को सीपीआई पर आधरित मुद्रास्फीति दर को 4 फीसदी (दो फीसदी ऊपर या नीचे) के स्तर पर रखने का लक्ष्य दिया है।

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