Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Thursday, June 19
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»विशेष»शिवराज और हिमंता के दौरे से गुटबाजी पर विराम
    विशेष

    शिवराज और हिमंता के दौरे से गुटबाजी पर विराम

    shivam kumarBy shivam kumarJune 25, 2024No Comments10 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    -आलाकमान ने भी माना बाबूलाल मरांडी ही प्रभावशाली
    -बाबूलाल आदिवासी और गैर आदिवासियों के बीच समान रूप से लोकप्रिय

    नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
    झारखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर भाजपा ने कमर कसनी शुरू कर दी है। झारखंड के लिए पार्टी के नवनियुक्त चुनाव प्रभारी सह केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और सह-प्रभारी सह असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा झारखंड का दो दिवसीय दौरा कर लौट चुके हैं। इन नेताओं की खूबी यही है कि ये दोनों हवा में तीर नहीं चलाते। जो भी जमीनी सच्चाई है, उसी आधार पर काम करते हैं। इन दोनों नेताओं के दिमाग में भाजपा के विधानसभा फतह के लिए जो तय आकंड़े हैं, वे भी कहीं न कहीं लॉजिकली सही भी हैं। लेकिन इसे साधने के लिए ठोस और स्पष्ट रणनीति बनानी पड़ेगी। जरा सी भी चूक की कोई गुंजाइश नहीं है। उसी मिशन को हासिल करने के लिए दोनों दिग्गजों ने प्रदेश संगठन के साथ राणिनीति पर काम करना भी शुरू कर दिया है। लक्ष्य स्पष्ट है कि एनडीए ने झारखंड में नौ लोकसभा सीटें हासिल की हैं, यानी 52 सीटों पर भाजपा अभी भी भारी है। जिन पांच लोकसभा सीटों पर भाजपा को नुकसान हुआ है, उसके लिए विशेष रणनीति पर काम हो रहा है। यानी 28 आदिवासी सीटों पर। 28 में से जितना भाजपा हासिल कर लेगी, वह उसके लिए बोनस होगा। पिछली बार 2019 के लोकसभा चुनाव में इन 28 आदिवासी सीटों में से दो सीटें ही भाजपा के पाले में आयी थी। अपने दौरे के क्रम में दोनों नेताओं ने एक बात साफ कर दी कि विधानसभा चुनाव का नेतृत्व तो बाबूलाल मरांडी ही करेंगे। एक तरफ यह बाबूलाल मरांडी द्वारा कड़ी मेहनत का सर्टिफिकेट भी है

    । यानी आलाकमान को भी यही लगता है कि झारखंड के लिए अगर कोई नेता फ्रंट से लीड कर सकता है, तो वह बाबूलाल मरांडी ही हैं। बाबूलाल की सांगठनिक क्षमता पर कोई सवाल नहीं उठा सकता। उन्होंने विषम परिस्थिति में भी पार्टी को नौ सीटें निकाल कर दी हैं। आठ भाजपा एक आजसू। अब बाबूलाल मरांडी के साथ दो-दो मजबूत हाथ मिल कर काम करेंगे। जिन दो नेताओं को प्रभार मिला है, उनका भी मानना है कि झारखंड में अगर कोई भाजपा की नैया पार लगा सकता है, तो वह बाबूलाल मरांडी हैं। भाजपा का जिस तरीके से देश भर में प्रदर्शन रहा खासकर यूपी, राजस्थान, बंगाल उससे तो कहीं बेहतर झारखंड में रहा। 14 सीटों में आठ भाजपा और एक आजसू यानी एनडीए को कुल नौ सीटें आयीं, तो परिणाम अच्छा ही माना जायेगा। हां रिजल्ट 85 प्रतिशत नहीं रहा, लेकिन 65 प्रतिशत तो है ही। इस पुरे लोकसभा चुनाव के दौरान और उससे पहले झारखंड के संदर्भ में अगर एक नेता की बात की जाये, जिसने जी तोड़ परिश्रम किया, वह हैं बाबूलाल मरांडी। उन्होंने जब से प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली, तब से 300 से ज्यादा सभायें उन्होंने कर डाली। दिन-रात एक कर दिया था बाबूलाल मरांडी ने। उन्होंने खुद को झोंक डाला था। इसका परिणाम भी दिखा। क्योंकि 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद से भाजपा झारखंड में जिस प्रकार से स्ट्रगल कर रही थी, उससे तो यही कहा जा सकता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव का परिणाम, उसके लिए उत्साहवर्धक है। सुखद है। क्योंकि 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद बहुत कुछ बदल गया था। आदिवासी-कुर्मी भाजपा से बिदक चुके थे। ऐसी परिस्थिति में भी नौ सीटें एनडीए को हासिल होना बड़ी बात है। चूंकि झारखंड में ज्यादातर आबादी, आदिवासी और कुर्मी की ही है। यही लोग निर्णायक भी हैं। भाजपा को अचूक रणनीति की जरूरत है, जिससे किसी एक धरे को तो अपने पाले में लाना ही होगा। आदिवासी तो टफ है। बाबूलाल मरांडी की खासियत है कि वह जितना लोकप्रिय आदिवासियों में हैं उतना ही नॉन आदिवासियों में। उन्हें सिर्फ आदिवासियों का ही नेता नहीं कहा जा सकता है। वह आलराउंडर हैं। यह भाजपा के लिए अच्छी बात है। क्योंकि भाजपा में जो खांटी आदिवासियों की राजनीती करते हैं, वह तो कहीं के न रहे। छोड़िये जख्म अभी हरे हैं। खैर बाबूलाल मरांडी को मजबूती प्रदान करने से झारखंड भाजपा में खेमेबंदी पर विराम लगने की पूरी संभावना है। लगनी भी चाहिए।

    भाजपा नेताओं की खेमाबंदी देखनी है, तो किसी सामाजिक कार्यक्रम में चले जाइये, जैसे शादी-विवाह, साफ दिख जायेगा कि कई ऐसे नेता हैं, बड़े नेताओं की बात कर रहा हूं, जो एक दूसरे को देखना भी पसंद नहीं करते। भाजपा को सिर्फ मोदी का परिवार नहीं, पार्टी का भी परिवार बन कर काम करना पड़ेगा। क्योंकि पार्टी को एक व्यक्ति बहुत दिनों तक नहीं खिंच सकता। ऐसा होना भी नहीं चाहिए। सभी को बराबर मिल कर एक साथ कदमताल करना पड़ेगा। फिलहाल दोनों नेताओं ने झारखंड में जिन सीटों पर भाजपा को लीड मिली है, उसको बेस मानते हुए जीत की इमारत गढ़ने का प्रयास शुरू कर दिया है और उसी को देखते हुए रणनीति भी तैयार की जा रही है। झारखंड के नेताओं-कार्यकतार्ओं को बताया भी है कि लोकसभा चुनाव परिणाम से हतोत्साहित होने की जरूरत नहीं है। यह परिणाम दूसरे राज्यों की अपेक्षा अच्छा है। क्या रहा शिवराज-हिमंता के झारखंड दौरे का फलाफल और क्या होगा इसका असर, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    लोकसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने के बाद भाजपा अब झारखंड विधानसभा चुनाव में किसी प्रकार का खतरा मोल लेने के लिए तैयार नहीं है। 2019 के चुनाव में सत्ता गंवा चुकी भाजपा ने इस बार झारखंड में हर वह दांव आजमाने की रणनीति बनायी है, जिससे वह दोबारा सत्ता में आ सके। इसलिए पार्टी आलाकमान ने अपने दो कद्दावर नेताओं, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को क्रमश: झारखंड का चुनाव प्रभारी और सह प्रभारी नियुक्त किया है। ये दोनों नेता अपने काम पर लग भी गये हैं और अभी दो दिन का झारखंड दौरा कर लौट चुके हैं। इस दौरे के दौरान इन दोनों नेताओं ने जहां लोकसभा चुनाव परिणाम की समीक्षा के अलावा पार्टी संगठन की अंदरूनी स्थिति की जानकारी हासिल की, वहीं विधानसभा चुनाव के लिए अपनायी जानेवाली रणनीति पर भी विचार किया। कई दौर की बैठकों के बाद जो बातें सामने आयी हैं, उनमें सबसे प्रमुख यह है कि भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव का परिणाम उतना निराशाजनक नहीं रहा, जितना कि बताया जा रहा है और दूसरा यह कि विधानसभा चुनाव में गुटबाजी के सारे रास्ते बंद कर दिये हैं, जिसमें कुछ लोग बाबूलाल मरांडी को कमजोर करने की कोशिश कर रहे थे। बाबूलाल मरांडी के अलावा झारखंड में और कोई दूसरा चेहरा भी नहीं है जो भाजपा की नैया को पार लगा सके। कुछ नामों को लेकर जो समां बांधा जा रहा था , उनकी हवा तो लोकसभा चुनाव के दौरान ही निकल गयी। बाबूलाल मरांडी की सांगठनिक समझ को नकारा नहीं जा सकता। वह झारखंड को बेहतर समझते हैं। वह तीन-पांच में नहीं रहते, न ही उसमे यकीन रखते हैं। ना ही उन्हें यह सब समझ में आता है। उनको अपना टास्क दीखता है। वह उसमे खुद को झोंक देते हैं। ईमानदारी से कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं करते। बाबूलाल मरांडी का कमा करने का अपना एक स्टाइल है। वह जमीन पर रह कर लोगों के बीच में जाकर काम करना पसंद करते हैं। उसमे वह ज्यादा छेड़छाड़ पसंद नहीं करते, नहीं तो लय टूट जाता है। झारखंड भाजपा 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद जिस स्थिति में थी उससे तो यही कहा जा सकता है कि बाबूलाल मरांडी का परफॉरमेंस बेहतर है। केंद्र में मोदी सरकार बनाने में झारखंड का भी बड़ा रोल है।

    लोकसभा चुनाव परिणाम की समीक्षा
    शिवराज और हिमंता ने लोकसभा चुनाव परिणाम पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान एक बात सामने आयी कि भाजपा के लिए परिणाम उतने निराशाजनक भी नहीं हैं, जितने कि बताये जा रहे हैं। पार्टी ने पांच आदिवासी सीटों समेत कुल 48 विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल की है, जो कहीं से भी खराब प्रदर्शन नहीं है। इतना ही नहीं, जिन आदिवासी सीटों पर भाजपा को बढ़त हासिल हुई है, उनमें झामुमो का गढ़ दुमका और वर्तमान सीएम चंपाई सोरेन की सीट सरायकेला भी शामिल है। इसके अलावा जामा, घाटशिला और पोटका से भी भाजपा को बढ़त हासिल हुई। इसलिए यह कहना कि आदिवासियों के बीच भाजपा की पैठ कम हुई है, सही नहीं है। यदि विधानसभा चुनाव में भाजपा का यही प्रदर्शन जारी रहा, तो सत्ता पक्ष के लिए परेशानी हो सकती है। इसलिए शिवराज और हिमंता ने पार्टी नेताओं और कार्यकतार्ओं से हतोत्साहित नहीं होने और अभी से ही राज्य सरकार को घेरने की रणनीति पर काम करने का निर्देश दिया है।

    बाबूलाल मरांडी ही रहेंगे कप्तान
    इन दोनों नेताओं ने यह भी साफ कर दिया कि पार्टी की कमान बाबूलाल मरांडी के ही हाथों में रहेगी, यानी भाजपा झारखंड की पिच पर उनकी कप्तानी में ही बैटिंग करेगी। प्रभारी और सह-प्रभारी ने यह भी साफ कर दिया कि पार्टी आलाकमान राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की किसी भी संभावना पर कोई विचार नहीं कर रहा है। दरअसल, झारखंड में आज भाजपा के पास बाबूलाल मरांडी का विकल्प नहीं है। दोनों केंद्रीय नेताओं ने बाबूलाल मरांडी की मेहनत और पार्टी के प्रति समर्पण की न केवल सराहना की, बल्कि लोकसभा चुनाव परिणामों को उनकी उपलब्धि बताया। दोनों नेताओं ने स्वीकार किया कि झारखंड के आदिवासी भाजपा से बिदके नहीं हैं, बल्कि कुछ नाराज हैं। उन्हें यदि कोई वापस भाजपा के करीब ला सकता है, तो वह बाबूलाल मरांडी ही हैं। अंदरखाने यह भी सच्चाई है कि बाबूलाल मरांडी ने जिन प्रत्याशियों को टिकट देने की सिफारिश की थी, उनमें से हरेक ने जीत हासिल की है।

    दोनों केंद्रीय नेताओं के दौरे के बाद यह बात साफ है कि बाबूलाल मरांडी को विधानसभा चुनाव तक बड़ी जिम्मेदारी निभाने को पूरी छूट मिलेगी। वह प्रभावी तरीके से चुनावी रणनीति और धरातल पर उसे उतारने, प्रत्याशी चयन और दूसरे मसलों पर अपनी भूमिका अदा करेंगे। इस हिसाब से विधानसभा चुनाव के बाद ही पता लगेगा कि झारखंड की सियासत में बाबूलाल कितने प्रासंगिक और धारदार नेता साबित हो रहे हैं।

    पार्टी में गुटबाजी मसला नहीं
    लोकसभा चुनाव के बाद पिछले दिनों भाजपा की समीक्षा बैठकें हुईं। इनमें आपसी गुटबाजी, विरोध और कलह की भी खबरें बाहर आयीं। देवघर में निशिकांत दुबे और विधायक नारायण दास के बीच आपसी कलह की खबर हो या दुमका में सीता सोरेन का विधायक रणधीर सिंह और पूर्व मंत्री लुइस मरांडी पर उंगली उठाने का मसला हो, दोनों केंद्रीय नेताओं ने साफ किया कि यह कोई मसला नहीं है।

    क्या कहा दोनों नेताओं ने
    शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में झारखंड में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया, जहां उसने आठ सीटें जीतीं और उसकी सहयोगी आजसू पार्टी को एक सीट मिली। संसदीय चुनाव में 81 विधानसभा सीटों में से भाजपा-आजसू को 52 पर बढ़त मिली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरा कार्यकाल दिलाने में राज्य ने अहम भूमिका निभायी। इस उपलब्धि के लिए पार्टी नेतृत्व, बूथ कार्यकर्ता और झारखंड की जनता बधाई की पात्र है। उन्होंने कहा कि पार्टी बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में काम करेगी और आगामी विधानसभा चुनाव में झारखंड में अगली सरकार बनायेगी। वहीं असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने दावा किया कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव में झारखंड के मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की विधानसभा सीट पर भी बढ़त हासिल की। उन्होंने कहा कि अगर वह झारखंड के मुख्यमंत्री होते, तो इस विफलता के कारण इस्तीफा दे देते। दोनों केंद्रीय नेताओं के दौरे के बाद झारखंड भाजपा में निश्चित तौर पर नये जोश का संचार हुआ है। पार्टी की तरफ से राज्य सरकार को घेरने की रणनीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है और इसलिए कहा जा सकता है कि झारखंड में आनेवाले दिनों में भाजपा का नया रूप देखने को मिलेगा।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleबरियातू में सेना की 4.55 एकड़ जमीन के फर्जी मालिक प्रदीप बागची के खिलाफ आरोप गठित
    Next Article प्रधानमंत्री मोदी का आह्वान, आपातकाल का विरोध करने वाले महान लोगों को श्रद्धांजलि दें
    shivam kumar

      Related Posts

      एक साथ कई निशाने साध गया मोदी का ‘कूटनीतिक तीर’

      June 8, 2025

      राहुल गांधी का बड़ा ‘ब्लंडर’ साबित होगा ‘सरेंडर’ वाला बयान

      June 7, 2025

      बिहार में तेजस्वी यादव के लिए सिरदर्द बनेंगे चिराग

      June 5, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • अहमदाबाद विमान दुर्घटना: डेटा रिकवरी के लिए ब्लैक बॉक्स अमेरिका भेजा जाएगा
      • प्रधानमंत्री मोदी तीन देशों की सफल यात्रा के बाद स्वदेश लौटे
      • जेंडर बजट केवल आंकड़े नहीं, विकास का दृष्टिकोण: अन्नपूर्णा देवी
      • रूस ने यूक्रेन के 81 यूएवी रोके या मार गिराए
      • राष्ट्रपति ट्रंप ईरान पर हमले को तैयार, अंतिम निर्णय बाकी, अमेरिकी मीडिया का दावा
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version