गढ़वा। गढ़वा जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। जहां घरवालों ने अपनी बेटी का अंतिम संस्कार कर दिया था। लेकिन करीब एक माह बाद ही बेटी सही सलामत घर के दरवाजे पर खड़ी थी। दरअसल, यह पूरा मामला गलतफहमी का है। पुलिस ने एक महिला का अज्ञात शव बरामद किया था, जिसके बाद एक दंपति ने अपनी बेटी की लाश के होने का दावा किया और मुस्लिम विधि-विधान से दाह संस्कार भी कर दिया। लेकिन लड़की जब अचानक घर पहुंची तो सभी के होश उड़ गये। दरअसल, गढ़वा जिले के भंडरिया थाना क्षेत्र के चिरैयाटांड़ जंगल से पिछले दिनों बालू में दबी एक लाश मिली थी, जिसकी पहचान काजल बानो के रूप में की गयी थी। इसके बाद काजल के घरवालों ने अंतिम संस्कार भी कर दिया। वहीं काजल बानो एक माह बाद जिंदा लौट आयी। तब जाकर परिजनों के आंखों से आंसू छलक पड़े। बताया गया कि छह माह पहले काजल किसी बात की नाराजगी को लेकर भंडरिया के जोगियामठ मेले में जाने की बात कहकर बेंगलुरु चली गयी थी। वहां किसी कंपनी में अपने सहेलियों के साथ काम कर रही थी। अचानक घर से चले जाने और बेटी के बारे में किसी प्रकार की जानकारी नहीं मिलने के बाद काजल के पिता असगर ने भंडरिया थाने में गुमसुदगी की रिपोर्ट दर्ज करायी।

इसी बीच भंडरिया पुलिस को चिरैयाटांड़ के जंगल से एक अज्ञात शव की जानकारी मिली। इसके बाद असगर ने शव के अंगों पर चिह्न के माध्यम से उसने काजल के रूप में पहचान की थी। इसी बीच पुलिस को काजल के बेंगलुरु में होने की जानकारी मिली। इसके बाद उसे भंडरिया बुलाया गया। वहीं प्रशासनिक प्रकिया के बाद पुलिस ने काजल को उसके घरवालों को सौंप दिया। घर पहुंची काजल ने बताया, कुछ दिन पहले जब मैं बेंगलुरु में काम कर रही थी। तो वहां कुछ दिनों तक रोज शाम को मुझे अजीब सा महसूस होता था। वहीं शारीरिक कष्ट होने लगता था।

काजल ने बताया कि जब उसे इस पूरे मामले की जानकारी मिली। तब उसे यह समझ में आने लगा कि यहां मेरा अंतिम संस्कार की प्रक्रिया हो रही थी। इसी कारण उसे बेंगलुरु में अजीब महसूस होता था। अब सवाल है कि 15 मई को चिरैयाटांड़ के जंगल से बरामद किया गया, शव किसका है?

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