पालमपुर। भारत में आपातकाल लगाए जाने की 50वीं वर्षगांठ पर पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने कांग्रेस सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि 1975 में लगाया गया आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के माथे पर ऐसा कलंक है, जिसे हिन्द महासागर का सारा पानी भी नहीं धो सकता।

शांता कुमार ने मंगलवार काे एक प्रेस बयान में कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए पूरे देश को जेलखाना बना दिया, जबकि न तो देश में कोई आपदा आई थी, न ही कोई युद्ध हुआ था। इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा इंदिरा गांधी को चुनाव में भ्रष्ट आचरण के चलते अयोग्य ठहराया गया था और 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगी थी। लेकिन लोकतंत्र की हत्या कर 19 माह तक आपातकाल लागू किया गया। जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी और हजारों कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया। उस समय हमने मीसा बंदियों की ओर से जब उच्च न्यायालय में जीने के अधिकार के लिए याचिका दाखिल की, तो सरकार ने कहा कि देश में अब जीने का अधिकार भी समाप्त हो चुका है। इससे बड़ा शर्मनाक वक्तव्य क्या हो सकता है?

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस पार्टी ने देश को स्वतंत्रता दिलाई, उसी ने लोकतंत्र को कुचलने का पाप किया, जिसे कभी माफ नहीं किया जा सकता। उन्होंने मांग की कि कांग्रेस के नेताओं को हर वर्ष संसद भवन के सामने खड़े होकर देश से माफी मांगनी चाहिए। उस दौर को याद करते हुए कहा कि जयप्रकाश नारायण, जिन्होंने अंग्रेजों की जेल तोड़कर स्वतंत्रता संग्राम लड़ा था, उन्हें भी देशद्रोही कहकर जेल में डाल दिया गया। नाहन जेल में रहते हुए उन्होंने जो कविता लिखी थी, वह जेलों में बंद देशभक्तों की भावनाओं का ऐतिहासिक दस्तावेज है। आपातकाल को भारत के इतिहास का “सबसे काला अध्याय” बताया और देशवासियों से अपील की कि इस अध्याय को कभी न भूलने काे कहा।

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