मुंबई। महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने शुक्रवार को मुंबई में कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने हमेशा समावेशिता को अपनाया है, जो सनातन धर्म के मूल मूल्यों समानता, सेवा और एकता में निहित है।
राज्यपाल राजभवन में शुक्रवार को ‘हम आरएसएस में क्यों हैं…?’ नामक पुस्तक के विमोचन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस पुस्तक के लेखक, विचारक और आरएसएस प्रचारक रमेश पतंगे हैं। आरएसएस के शताब्दी वर्ष में यह किताब लिखने के लिए पतंगे की प्रशंसा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने शोध किए गए साक्ष्यों, ऐतिहासिक तथ्यों और तर्कपूर्ण तर्कों के माध्यम से इस राजनीतिक रूप से प्रेरित मिथक को दूर किया है कि आरएसएस एक उच्च जाति का संगठन है। उन्होंने कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवक संकट के समय में राष्ट्र की सेवा के लिए लगातार आगे आए हैं, चाहे वह भूकंप, बाढ़, सूखा या देश भर में रेल दुर्घटनाएँ हों।
संगठन की यात्रा पर विचार करते हुए राज्यपाल ने स्वीकार किया कि पिछले 100 वर्षों में आरएसएस ने कई चुनौतियों का सामना किया है। फिर भी, हजारों स्वयंसेवकों और प्रचारकों के समर्पण ने यह सुनिश्चित किया है कि संगठन मजबूत और जीवंत बना रहे। उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों और देश के बाकी हिस्सों के बीच भावनात्मक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए आरएसएस कार्यकर्ताओं की भी सराहना की। राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आरएसएस से प्रेरित निस्वार्थ सेवा की भावना का उदाहरण हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत ने न केवल अपने नागरिकों को मुफ्त कोविड-19 टीके उपलब्ध कराए, बल्कि वैक्सीन निर्यात के माध्यम से अन्य देशों को भी सहायता प्रदान की। पतंगे की मूल मराठी पुस्तक ‘आम्ही संघात का आहोत?…’ के अनुवादक डॉ. अश्विन रंजनीकर, राज्यपाल के सचिव डॉ. प्रशांत नारनवारे और आमंत्रित लोग उपस्थित थे। ‘साप्ताहिक विवेक’ ने आरएसएस के शताब्दी वर्ष के अवसर पर पुस्तक प्रकाशित की है। पुस्तक में आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का प्राक्कथन है।