यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ आज अयोध्या दौड़े पर है. अयोध्या पहुँच कर परमहंस रामचंद्र दास की श्रद्धांजलि सभा में हिस्सा लिया. यहाँ आपको बता दें की यूपी का सीएम बनने के बाद 4 महीने में योगी का ये दूसरा अयोध्या दौरा है. उसके बाद सिएम योगी दिगंबर अखाड़े में पहुंचे कर संतों को संबोधित करते हुए कहा, ”रामचंद्र परमहंस गुरू समान हैं. पूरी दुनिया में भारत की पहचान राम और बुद्ध के आधार पर है. हर साल हम अपने गांव में रामलीला का आयोजन कराते हैं. जहां भी रामलीला होती है, उसे देखने के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है. गोरक्षपीठ का संबंध राम मंदिर आंदोलन से रहा है. मैं पहले राम भक्त हूं. मैं बार-बार अयोध्या आया हूं और आता रहूंगा. मेरे यहां आने में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.”
याेगी ने आगे कहा, ”अयोध्या, काशी ने दुनिया को संस्कृति दी है. देश को एक पहचान दी है. राम की कथा सुनकर तो हर व्यक्ति को परम आनंद मिलता है. भगवान राम की महिमा पूरे विश्व में सुनाई जाती है. हालांकि, अयोध्या उपेक्षित रही है. भारत की पहचान के प्रतीकों को उपेक्षित किया गया है.”
”लेकिन मोदी जी के नेतृत्व में सरकार का गठन होने के बाद ये फैसला हुआ कि देश में रामायण सर्किट बन सकता है. भारत को समझने वाला व्यक्ति ही भारत के विकास की नींव डाल सकता है. अयोध्या के घाटों के पुनरूद्धार की व्यवस्था होनी है.”
योगी ने संतों से कहा, ”सकारात्मक राजनीति से ही राम मंदिर का हल निकलेगा. सरयू की स्वच्छता का संत ख्याल रखें. आपकी इच्छा के हिसाब से सरकारें काम करेंगी.”
आपको बता दें की परमहंस रामचंद्र दास के समाधि स्थल पर योगी के पहुंचने से पहले स्थल को एडमिनिस्ट्रेशन ने खाली करा दिया और संतों को भी वहां से हटा दिया. जिसके बाद योगी आदित्यनाथ का स्वागत न कर पाने से साधु-संत नाराज हो गए. रामजन्मभूमि न्यास के मेंबर महंत राम विलास वेदांती और राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास को भी वहां से हटा दिया गया.
परमहंस रामचंद्र दास की जिस समाधि पर योगी श्रद्धांजलि देने के बाद, उस पर कब्जे को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. हालाँकिये विवाद परमहंस रामचंद्र दास के ही दो शिष्यों के बीच कदा हुआ है. जहाँ एक तरफ परमहंस रामचंद्र दास के उत्तराधिकारी और दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेश दास हैं. वहीँ दूसरी तरफ रामचंद्र दास के शिष्य नारायण मिश्र हैं. यहाँ स्पष्ट कर दें की दोनों ही पक्ष समाधि वाली जगह पर अपनी दावेदारी जता रहे हैं.
नरायण मिश्र के मुताबिक 26 जुलाई 2003 को परमहंस रामचंद्र दास के निधन के बाद से उनकी समाधि की देखरेख ढंग से नहीं हो पा रही थी. उन्होंने 2015 में यहां कमरा बनवाकर पूजा-पाठ शुरू करवाई, लेकिन अब महंत सुरेश दास उन्हें यहां से हटाना चाहते हैं. दूसरी तरफ सुरेश दास का कहना है कि उनके गुरु दिगंबर अखाड़े के महंत थे. लिहाजा उनकी समाधि पर अखाड़े का हक है. नारायण मिश्र का उस पर कोई हक नहीं है.