पटना: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव एक बार फिर से चर्चा में हैं। चर्चा सीबीआइ की शुक्रवार को 12 ठिकानों पर छापेमारी को लेकर है। एक हजार करोड़ से ज्यादा की बेनामी संपत्ति के मालिक लालू प्रसाद के पास कभी स्कूल की फीस देने तक के पैसे नहीं थे। वे अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए स्कूल में गुड़ और चावल फीस के रूप में दिया करते थे। लालू प्रसाद का जन्म गोपालगंज जिले के फुलवरिया गांव में हुआ था। लालू ने माड़ीपुर गांव के स्कूल से अपनी पढ़ाई की शुरुआत की थी। तब लालू के पास स्कूल की फीस देने के लिए पैसा नहीं हुआ करता था। इस कारण हर शनिवार को रस्सी-पगहा और गुड़-चावल फीस के रूप में शिक्षक को दिया करते थे।
भाई के साथ पढ़ने के लिए पटना आये: लालू के भाई मुकुंद चौधरी पटना में मजदूरी करने आये थे। वे लालू को भी साथ लेते आये। यहां पर उनके बड़े भाई ने पटना के शेखपुरा मोड़ के मध्य विद्यालय में लालू का एडमिशन कराया। तब लालू का पूरा परिवार पटना वेटनरी कॉलेज के एक कमरे के क्वार्टर में रहता था। परिवार के पास लालटेन के लिए केरोसिन खरीदने तक का पैसा नहीं था, इसलिए रूम में अंधेरा पसरा रहता था। लालू प्रसाद ने वेटनरी कॉलेज की लाइट में अपनी पढ़ाई पूरी की थी। लालू प्रसाद को स्कूल के पुअर ब्वायज फंड से जो पैसा मिलता था, उससे ही उसकी पढ़ाई पूरी हुई। पढ़ाई जारी रहे, इसलिए लालू कभी रिक्शा चलाते थे। वे चाय की दुकान पर मजदूरी भी करते थे।
डॉक्टर बनने का था सपना : लालू प्रसाद ने पटना विवि से बीए-एलएलबी किया। हालांकि, वे बचपन में डॉक्टर बनने का सपना देखा करते थे। यह सपना टूट गया, तो दोस्तों की सलाह से वे एलएलबी में एडमिशन ले लिया और वकील बन गये।
जेपी आंदोलन में हुए शामिल : लालू यादव छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे। 1971 में लालू प्रसाद पटना विवि छात्र संघ के चुनाव में शामिल होकर संघ के महासचिव बने। फिर जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति से जुड़े। आपातकाल के दौरान गिरफ्तार होकर जेल भी गये। संपूर्ण क्रांति के दौरान 18 मार्च 1974 को छात्र सड़कों पर उतर आये थे। उनमें लालू भी शामिल थे। आंदोलन रोकने के लिए सेना के जवानों ने लालू की पिटाई की। इसी दौरान अफवाह फैल गयी कि पिटाई में लालू की मौत हो गयी है।
राजनीति में बनाया मुकाम, फिर मिला विवादों का साथ : जेपी आंदोलन के दौरान लालू ने अपनी छवि एक जुझारू नेता के रूप में बना ली। आगे 1977 में आम चुनाव हुआ, तो लालू सांसद चुने गये। फिर 1980-1985 में विधायक रहे। 1990 में लालू बिहार के मुख्यमंत्री बन गये।

 

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