पनामा पेपर्स लीक मामले में गठित संयुक्त जांच दल (जेआईटी) ने अपनी रिपोर्ट में नवाज शरीफ और उनके बेटों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है

पाकिस्तान में पनामा पेपर्स लीक मामले को लेकर संयुक्त जांच दल (जेआईटी) की रिपोर्ट आने के बाद प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर पद छोड़ने का दबाव बढ़ गया है. जेआईटी ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है. मीडिया में लीक हो चुकी इस रिपोर्ट में नवाज शरीफ और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार के जरिए आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया गया है. इसके साथ ही जेआईटी ने उनके बेटों पर बेनामी आय छिपाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेने का भी आरोप लगाया है. इस मामले में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने 20 अप्रैल को जेआईटी का गठन किया था.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक विपक्ष ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के इस्तीफे की मांग तेज कर दी है. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के अध्यक्ष इमरान खान ने कहा है कि नवाज शरीफ के पास पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है और उन्हें तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि ताजा हालात में प्रधानमंत्री शरीफ की स्थिति अप्रत्याशित रूप से कमजोर पड़ चुकी है और इसके चलते उन्हें पद छोड़ना पड़ सकता है. हालांकि, नवाज शरीफ के सहयोगियों ने सभी आरोपों को खारिज किया है. रक्षा मंत्री आसिफ ख्वाजा ने जेआईटी की रिपोर्ट को ‘कचरा’ और ‘खामियों से भरा’ बताया है.

उधर, प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने अपनी राजनीतिक और कानूनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है. स्थानीय अखबार डॉन के मुताबिक मंगलवार को प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के घर पर पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में इन सभी मुद्दों पर चर्चा हुई है.

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