रांची: सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन प्रस्ताव को निरस्त करने की मांग को लेकर विपक्ष 10 जुलाई को राजभवन के समक्ष महाधरना देगा। सीएनटी-एसपीटी एक्ट के संशोधन को लौटाने पर राज्यपाल को धन्यवाद देने की बात कही गयी। विपक्ष के नेता शनिवार को बिहार क्लब में बैठक के बाद प्रेस को संबोधित कर रहे थे। प्रेस को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति जर्जर हो गयी है। पहले गिरिडीह, बोकारो, लातेहार,हजारीबाग, गिरिडीह और फिर रामगढ़ में सांप्रदायिकता के नाम पर युवक की हत्या कर दी गयी। उन्होंने कहा कि किसानों की हालत राज्य में खराब है।
किसान आत्महत्या करता है, तो सरकार उसे कहती है कि दारू पीकर मर गया। इन्हीं सभी मांगों को लेकर 10 जुलाई को राजभवन के समक्ष विपक्ष के महाधरना का आयोजन किया गया है। पूर्व सीएम सह जेवीएम के केंद्रीय अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्य में सांप्रदायिक तनाव फैलाने की साजिश हो रही है। लातेहार, चतरा, हजारीबाग, बोकारो, गिरिडीह फिर रामगढ़ की घटना को देखा जा सकता है। सरकार ने सांप्रदायिक तनाव फैलानेवालों को छूट दे रखी है। अन्यथा उनके विरुद्ध सरकार कार्रवाई करती।
उन्होंने कहा कि राज्य में कानून का पालन स्वयं सरकार नहीं कर रही है, तो कानून व्यवस्था कहां से दुरुस्त होगी। कहा कि सीएनटी-एसपीटी में संशोधन बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। सरकार बड़ी कंपनियों को जमीन उपलब्ध कराने के लिए सीएनटी में संशोधन चाहती है, जबकि सीएनटी में सार्वजनिक कार्यों के लिए आदिवासी जमीन भी अधिग्रहण का पहले से प्रावधान है। सरकार ने कई जिले में इसी प्रावधान के नाम पर जमीन भी अधिग्रहण की है, फिर संशोधन की आवश्यकता क्यों पड़ गयी। जदयू नेता जलेश्वर महतो ने कहा कि धनबाद में जमीन के नीचे आग के नाम पर 20 लाख परिवारों को बेघर कर दिया। प्रेस को वाम दल के भुनेश्वर मेहता, केडी सिंह, पार्थो मुखर्जी ने भी अपने संबोधन में सीएनटी और एसपीटी के संशोधन का विरोध दर्ज कराया।