लखनऊ: देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद ने कई गणमान्य के लोगों के समक्ष मंगलवार को शपथ ग्रहण किया. उन्हें भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. कहा जा रहा है कि इस कार्यक्रम में सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई बड़े नेता शामिल हुए. लेकिन पूर्व सीएम और बसपा मुखिया मायावती इस ऐतिहासिक प्रोग्राम में शामिल नहीं हुई.

हालांकि उनकी तरफ से बसपा महासचिव सतीशचन्द्र मिश्र शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे थे. इस मामले पर विशेषज्ञों ने बड़ा बायन दिया है. “मायावती की दिक्कत सेल्फ इम्पाॅरटेंस है. बीते 19 मार्च को जब योगी आदित्यनाथ का सीएम के रूप में शपथग्रहण समारोह का प्रोग्राम था, तब भी मायावती वहां नहीं पहुंची थीं. ऐसे कई आयोजन हुए, ज‍िसमें बसपा चीफ नहीं दिखीं.”

उन्होंने आगे यह कहा, “इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि मायावती खुद को काफी ज्यादा इम्पाॅरटेंस देती हैं और खुद को दलितों का एक मात्र नेता समझती हैं. अगर वह एक मात्र दलित नेता होतीं तो उन्हें विधानसभा चुनाव में 19 सीटों से संतोष नहीं करना पड़ता. राष्ट्रपत‍ि के शपथ ग्रहण समारोह में मायावती को जाना चाहिए था, क्योंकि ये एक संवैधानिक पद का शपथ ग्रहण था. न की किसी पार्टी विशेष का कोई प्रोग्राम था.”

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version