रामगढ़: झारखंड सचिवालय में नौकरी दिलाने के नाम पर रामगढ़ एवं रांची के कई युवाओं से लाखों रुपये की ठगी का मामला प्रकाश में आया है। अब ठगी के शिकार युवा न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं। जानकारी के अनुसार शिवशंकर सिंह रामदेव बिहार अपार्टमेंट, अशोकनगर रांची ने अपने को झारखंड सचिवालय का एडीएम बता कर युवाओं से संपर्क साधा। ठगी के शिकार हुए कुज्जू के रहने वाले सकलैन अहमद ने रामगढ़ में बताया कि वह भी ठगी का शिकार हुआ है। परिचित मोहम्मद रिजवान हजारीबाग, सलमान अंसारी भुरकुंडा, जूही खातून भुरकुंडा, विनोद मुंडा भुरकुंडा, भीम महतो भुरकुंडा एवं रांची के दो और युवाओं ने शिवशंकर सिंह से संपर्क साधा। कहा कि सभी की नौकरी लगवा दी जायेगी। इसके एवज में प्रत्येक को पांच-पांच लाख रुपये देने होंगे। सकलैन अहमद ने बताया कि उसने शिवशंकर सिंह को पांच लाख रुपये भी दे दिये। कहा कि मेरे अलावा अन्य युवाओं ने तीन से चार लाख रुपये दिये हैं। इस प्रकार करीब 20 लाख रुपये से अधिक की राशि नौकरी के लिए दी गयी।
शिवशंकर सिंह के कहे अनुसार सभी को मानव संसाधन विकास विभाग का कार्यालय सचिवालय झारखंड रांची से नियुक्ति पत्र 24 जून को डाक मिला। सचिवालय से भेजे गये पत्र में कहा गया है कि विज्ञापन संख्या 139 तिथि 8 नवंबर 2016 के संदर्भ में सहायक पद का वेतनमान 12050 से 26 हजार के मूल वेतनमान में स्थापना समिति के निर्णय के अनुसार चयनित किया जाता है। नियुक्ति अभी अस्थाई होगी। पत्र में लिखा गया है कि तीन जुलाई 2017 से 12 जुलाई 2017 के बीच में अधोहस्ताक्षरी के कार्यालय में अपना योगदान देना सुनिश्चित करें। अहमद ने बताया कि जब सचिवालय में योगदान देने गये, तो पहले शिव शंकर सिंह ने मेडिकल चेकअप डॉक्टर एसके रमण से करवाया। मेडिकल चेकअप के बाद पांच जुलाई को संबंधित कार्यालय झारखंड सचिवालय रांची पहुंचा। नियुक्ति पत्र दिखाया, तो बताया गया कि यह नियुक्ति पत्र फर्जी है। इसके बाद अरगोड़ा थाना प्रभारी से मिल कर सारी घटना बतायी। पुलिस शिवशंकर सिंह को पकड़ कर लायी। लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया गया।
पुलिस की कार्रवाई पर उठाया सवाल
युवाओं का कहना है कि हम लोग गरीब घर से आते हैं। किसी तरह मैनेज कर पैसा दिये थे। अब कानूनी कार्रवाई के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा भी है। ठगी का शिकार हुए युवाओं ने सवाल उठाया कि आखिर पुलिस ने कैसे हिरासत में लेने के बाद संबंधित ठग को छोड़ दिया।