चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद के बीच भारत अपनी ​थल सेना को आधुनिक सैन्य उपकरणों और हथियारों से लैस करने के सा​थ ही समुद्री सीमा को भी अभेद्य बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। इसके तहत केंद्र सरकार ने 70 हजार करोड़ की लागत से बनने वाली स्टील्थ सबमरीन प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखा दी है। इस प्रोजेक्ट को ‘प्रोजेक्ट-75’ नाम दिया गया है, जिसके तहत भारतीय शिपयार्ड कंपनी सबमरीन बनाने में महारत हासिल करने वाले देशों के साथ मिलकर सबमरीन विकसित करेगी। इस भारी-भरकम डील पर फ्रांस, जर्मनी, रूस, स्वीडन, स्पेन और जापान की कंपनियों की नज़र है।

एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक साल 2007 में ही इस प्रोजेक्ट को शुरू किया जाना था, लेकिन 10 साल बाद सरकार ने इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने का फैसला लिया है। इस प्रोजेक्ट के तहत भारत अगली पीढ़ी की स्वदेशी पनडुब्बियों का निर्माण करेगा। रक्षा मंत्रालय ने इस साल मई में नई ‘स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप पॉलिसी’ शुरू की थी, इस नई नीति के तहत यह पहला सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। इस डील को ‘मदर ऑफ आल अंडरवॉटर डील्स’ भी कहा जा रहा है।

वर्तमान में सिर्फ दो न्यूक्लियर सबमरीन हैं भारत के पास
वर्तमान समय में भारत के 2 न्यूक्लियर सबमरीन हैं। पिछले साल ही करीब 6,000 टन वजनी स्वदेश निर्मित बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन अरिहंत को नौसेना में शामिल किया गया था। इसके अलावा अकुला-II क्लास का अटैक सबमरीन(एसएसएन) भी भारत के पास है। करीब 12,770 टन की ये पनडुब्बी रूस से 10 साल की लीज पर ली गई है। अरिदमन सब मरीन अभी बनकर तैयार नहीं हुआ है।

पनडुब्बियों के मामले में भारत की श​क्ति
भारत के पास सिंधुघोष क्लास की 3076 टन की 9 रुसी पनडुब्बियां हैं, जो सोवियत यूनियन के जमाने की हैं। प्रोजेक्ट-75 के पूरा होने तक इनमें से आधे से अधिक पनडुब्बियां रिटायर हो चुकी होंगी। इनके नाम आईएनएस सिंधुघोष, आईएनएस सिंधुध्वज, आईएनएस सिंधुराज, आईएनएस सिंधुवीर, आईएनएस सिंधुरत्न, आईएनएस सिंधुकेसरी, आईएनएस सिंधुकीर्ति, आईएनएस सिंधुविजय और आईएनएस सिंधुराष्ट्र हैं।

जर्मनी से लायी गई पनडुब्बियों का हो रहा हे अपग्रेडेशन
इसके अलावा जर्मनी से लाई गई शिशुमार क्लास की 4 पनडुब्बियां अभी सेवा में हैं, जिन्हें अपग्रेड किया जा रहा है। ये पनडुब्बियां 1850 टन की हैं, जिनके नाम आईएनएस शिशुमार, आईएनएस शंकुष, आईएनएस शल्कि और आईएनएस शंकुल हैं।

ट्रायल के दौर में हैं कलवरी और खांदेरी
मौजूदा समय में भारत-फ्रांस के सहयोग से 1565 टन वजनी कलवरी क्लास की दो पनडुब्बियां ट्रायल के दौर में हैं। इनके नाम आईएनएस कलवरी और आईएनएस खांदेरी है। ये दोनों ही डीजल से चलने वाली हमलावर पनडुब्बियां हैं।

भारत कर रहा है ‘आईएनएस अरिदमन’ का विकास
परमाणु शक्ति से लैस आईएनएस अरिदमन भारत खुद बना रहा है। ये अरिहंत क्लास की आधुनिक पनडुब्बी है, जो परमाणु हमला करने में भी सक्षम होगी। इसके अलावा कलवरी क्लास की 4 पनडुब्बियां अभी बन रही हैं। ये चारों पनडुब्बियां हमलावर होंगी।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version