नयी दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ शुक्रवार को पहली बार विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाया लेकिन एआईएडीएमके के साथ और बीजेडी व टीआरएस जैसे विपक्षी दलों के वोटिंग से दूर रहने से सरकार की राह बेहद आसान रही। अविश्वास प्रस्ताव वोटिंग के बाद गिर गया। अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में 325 वोट पड़े जबकि इसके पक्ष में महज 126 ही वोट पड़े। इस प्रस्ताव पर कुल 451 सदस्यों ने वोट डाले। हालांकि शिवसेना का वोटिंग से दूर रहना मोदी सरकार के लिए चिंता की बात रही। प्रस्ताव पर वोटिंग के बाद लोकसभा की कार्रवाई सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। बता दें कि यह प्रस्ताव आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर टीडीपी लेकर आई थी। कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों के सदस्यों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब दिया। पीएम नरेंद्र मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में जवाब देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और विपक्ष पर जोरदार हमला बोला। कांग्रेस को अहंकारी बताते हुए पीएम ने कहा कि कांग्रेस के लोग जो भाषा बोल रहे हैं वह अज्ञानवश और अति आत्मविश्वास के कारण है। महागठबंधन पर तंज कसते हुए पीएम ने कहा कि यह अविश्वास प्रस्ताव नहीं बल्कि यह कांग्रेस के तथाकथित साथियों का फ्लोर टेस्ट है। मैं पीएम बनूंगा इसका ट्रायल चल रहा है।
अविश्वास प्रस्ताव: दिनभर सदन में क्या हुआ
पीएम नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश को स्पेशल स्टेट के दर्जे पर भी जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘जोर और जुल्म के बीच आंध्र और तेलंगाना का विभाजन किया। उस समय मैंने यह कहा था कि तेलुगू हमारी मां है। तेलुगू के स्प्रिट को टूटने नहीं देना चाहिए। कांग्रेस की वजह से तेलंगाना विवाद पैदा हुआ। कांग्रेस ने भारत-पाकिस्तान का विभाजन किया और आज भी हम मुसीबत झेल रहे हैं। कांग्रेस विभाजन करके आंध्र जीतना चाहती थी लेकिन आंध्र भी न मिला और तेलंगाना भी नहीं मिला। आंध्र का बंटवारा जबरन किया गया।