रांची। छह दिनों वाले मानसून सत्र के चौथे दिन की शुरुआत देखकर, तो नहीं लगा कि विधानसभा की कार्यवाही चल पायेगी। हालांकि अन्य दिनों के अपेक्षाकृत सदन की कार्यवाही चली। सत्र शुरू होने से पहले विपक्ष और सत्ता पक्ष के विधायकों ने जमकर नारेबाजी की।

सत्ता और विपक्ष दोनों ने जमकर की नारेबाजी

विपक्ष ने मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ नारे लगाये… वहीं सत्ता पक्ष ने भी प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन को आदिवासियों का शोषक कहा। साथ ही बाबूलाल मरांडी के खिलाफ आदिवासी विरोधी होने का नारा लगा। 10.45 बजे विपक्ष के नेता तख्ती लेकर विधानसभा के बाहर गेट पर धरना पर बैठ गये। कांग्रेसी नेताओं का नारा था: लाठी और बंदूक वाली सरकार नहीं चलेगी। वहीं जेएमएम के विधायकों ने नारा लगाया: भूमि अधिग्रण बिल वापस लो। इन सबके जवाब में सत्ता पक्ष के कई विधायक भी तख्ती लेकर आ गये।

गोली-बंदूक और बलात्कार के शोर में डूबी विधानसभा

उनका नारा था- बलात्कारियों को संरक्षण देनेवाले होश में आओ। सत्ता पक्ष के विधायकों ने नारेबाजी करते हुए कहा कि विपक्ष दलित और आदिवासियों के साथ अन्याय करता आया है। करीब पंद्रह मिनट तक सत्ता पक्ष और विपक्ष का प्रदर्शन चलता रहा। दोनों एक दूसरे को घेर रहे थे। एक तरफ सत्ता पक्ष और विपक्ष का प्रदर्शन चल रहा था, तो दूसरी तरफ विधायक कुणाल षाड़ंगी अतिक्रमण हटाने के तरीके को लेकर धरना पर बैठ गये। वहीं हेमंत सोरेन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जो सदन की स्थिति है, अगर सदन यूं ही बाधित रहा, तो झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक नैतिकता के आधार पर वर्तमान सत्रावधि का कोई भी वेतन नहीं लेंगे।

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