रांची। कारगिल विजय दिवस के अवसर पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद् द्वारा कारगिल विजय दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत माता की रक्षा के लिए शहीद होनेवाले सपूतों पर देश को गर्व है। कहा कि प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष भी झारखंड सहित पूरे देश में कारगिल विजय दिवस पूरे जोश के साथ मनाया जा रहा है। उन्होंने भारत माता के उन महान सपूतों को नमन किया, जो कारगिल युद्ध में शहीद हो गये। साथ ही उनके परिवार के सदस्यों के प्रति गहरी संवेदना भी प्रकट की। राज्यपाल ने कहा कि भारत वीरों की भूमि है।

देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश हुकूमत के चंगुल से देश को मुक्त कराने के लिए अपना तन-मन-धन सब कुछ न्योछावर कर दिया था। सभी का एक मात्र लक्ष्य और मकसद था, भारत माता की आजादी। कहा कि उनके लंबे संघर्ष और त्याग का ही परिणाम है कि आज हमें स्वतंत्र राष्ट्र का नागरिक कहलाने का सौभाग्य एवं गौरव प्राप्त हुआ है। जहां हमें वीर स्वतंत्रता सेनानियों के कड़े संघर्ष और त्याग के कारण आजादी मिली, वहीं हमारे जवान स्वतंत्र राष्ट्र की बाह्य एवं आंतरिक सुरक्षा के प्रति सदैव सचेष्ट रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए हमारे वीर सैनिक दिन-रात सरहद पर डटे हैं। सीमा पर जवानों की मुस्तैदी से डटे रहने का नतीजा है कि हम रात में चैन से सोते हैं। राज्यपाल ने कहा कि जहां तक कारगिल युद्ध की बात है, पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी शांति वार्ता करने के लिए बस से पाकिस्तान गये थे, लेकिन नापाक इरादे वालों ने शांति का रास्ता पसंद न कर पीठ में छूरा मारने का कार्य किया। पाकिस्तान ने भारत को धोखा दिया और कारगिल के विभिन्न चोटियों में अपनी सेना के हजारों सैनिकों को घुसपैठिये के रूप में गुपचुप भेज कर कब्जा कर लिया था। हमारी बहादूर सेना के समक्ष उन सेना के घुसपैठियों को मार भगाना एक कठिन काम था, लेकिन देश की बहादूर सेना दुश्मनों के दांत खट्टे किये।