- देशतोड़क पत्थलगड़ी समर्थकों को कठघरे में खड़ा किया सालखन मुर्मू ने
रांची। जैसे-जैसे देशतोड़क पत्थलगड़ी की आड़ में हो रहे गंदे खेल की सच्चाई सामने आ रही है, वैसे-वैसे राजनीतिक नेताओं की आंख पर पड़ी धुंध छंट रही है। इस कड़ी में सबसे बड़ा उदाहरण हैं सालखन मुर्मू, जिन्होंने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह कहा है कि देशतोड़क पत्थलगड़ी संविधान और आदिवासी हित में कतई नहीं है। वहीं झाविमो नेता बंधु तिर्की ने भी माना है कि पत्थलगड़ी की आड़ में कहीं न कहीं लकड़ी, अफीम माफिया और दलाल खूंटी की भोली-भाली जनता को बहका रहे थे और उन्हें देश और संविधान से काटने की कोशिश कर रहे थे।
26 जून से पहले झारखंड में विपक्ष के नेताओं में यह होड़ मची थी कि कौन कितने जोर गले से देशतोड़क पत्थलगड़ी समर्थकों का समर्थन कर सकता है। देशतोड़क पत्थलगड़ी को सह देनेवाले चर्च के पक्ष में तारीफों के पुल बांध सकता है। झारखंड मुक्ति मोरचा, कांग्रेस, राजद, झारखंड विकास मोर्चा और तमाम वामपंथी दल के नेता एक सुर से चिल्ला रहे थे कि खूंटी में देशतोड़क जो कर रहे हैं, वे सही कर रहे हैं। वे पानी पी-पीकर भाजपा और सरकार को कोस रहे थे कि वे पत्थलगड़ी समर्थकों के खिलाफ बेमतलब कठोर कदम उठा रही है। उनकी आंख में इस कदर मोटा परदा जमा हो गया था कि पत्थलगड़ी की आड़ में देशद्रोहियों की काली करतूत दिखाई ही नहीं पड़ रही थी। जब कोचांग में बलात्कारियों ने पांच-पांच बच्चियों के साथ बलात्कार जैसी घृणित घटना को अंजाम दिया, तब भी उन्होंने उन दुष्कर्मियों के खिलाफ भर्त्सना के दो बोल भी नहीं बोले। वे तो कह रहे थे कि पुलिस उन बच्चियों को उनके गांव भेज दे। ऐसा कहते समय उनकी क्या मंशा थी, ये तो वही जानें, लेकिन इतना जरूर था कि अगर उस समय इन बच्चियों को पुलिस घरवालों को सुपुर्द कर देती, तो बलात्कारी घरवालों को डरा-धमका कर उनसे बयान बदलवा देते,क्योंकि इस घटना में पीएलएफआइ के अपराधी शामिल हैं। लेकिन जनता के बाद अब नेताओं की चेतना भी जागी है।
सालखन मुर्मू ने एक प्रेस विज्ञप्ति में जो कुछ लिखा है, वह यों है: खूंटी गैंगरेप का मास्टरमाइंड और पत्थलगड़ी नेता जॉन जोनास तिड़ू और बलराम समद की गिरफ्तार से कई गंभीर और चिंताजनक तथ्यों का खुलासा हो रहा है। जो देश, संविधान और आदिवासी हितों में कतई नहीं है। परंतु दुर्भाग्य की बात है कि झारखंड का संपूर्ण विपक्षी गंठबंधन और चर्च से जुड़े अधिकांश महानुभाव केवल वोट की राजनीति के लिए इस गलत पत्थलगड़ी का खुल कर समर्थन कर रहे थे। मगर पत्थलगड़ी नेताओं की गिरफ्तारी, कुछ की फरारी और खूंटी क्षेत्र के ग्रामीणों द्वारा गलत पत्थलगड़ी को ठुकराने से विपक्षी महागठबंधन और चर्च के मुंह पर एक तगड़ा तमाचा जड़ गया है। एएसए और जेडीपी के अनुसार झारखंड की आदिवासी-मूलवासी जनता पक्ष विपक्ष दोनों से नाखुश है। उनके असंतोष, आक्रोश और असुरक्षा के कारण और निवारण आदिवासी जनप्रतिनिधि हैं। जो आदिवासी समाज की सुरक्षित सीटों से जीत कर आदिवासी समाज की सुरक्षा और संरक्षण के बदले जाने-अनजाने उनकी बर्बादी में मशगूल हैं। अत: यदि आदिवासी समाज को तुरंत समाधान चाहिए तो सभी 28 आदिवासी एमएलए को सहयोग के लिए मजबूर करने का संघर्ष तेज करना होगा। अन्यथा पक्ष-विपक्ष की नकली लड़ाई से नेताओं को फायदा तो हो सकता है, आदिवासी समाज को कुछ भी हासिल नहीं होगा।
दलाल-अफीम माफिया सक्रिय थे : बंधु
कभी सालखन के साथ कदम से कदम मिला कर चलनेवाले बंधु तिर्की ने भी कहा है कि खूंटी में दलाल, लकड़ी और अफीम माफिया ने मिल कर वहां की जनता को बरगलाया और उन्हें देश और संविधान के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि जब लोकतांत्रिक देश में नेता मौन साध लेता है, तो गलत किस्म के लोग अपने मकसद में कामयाब हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि खूंटी में जो विषाक्त माहौल बना था, उसमें कहीं न कहीं नीलकंठ सिंह मुंडा और कड़िया मुंडा की राजनीतिक दूरी भी एक कारण रही है। खूंटी में इन दोनों की सक्रियता में कमी के कारण राजनीतिक शून्य पैदा हो गया था, जिस कारण दलालों और माफियाओं ने ग्रामीणों को गलत दिशा में मोड़ने की भरपूर कोशिश की। उन्होंने कहा कि जिस दिन खूंटी के गांव-गांव में विकास की किरण पहुंच जायेगी, देश और संविधान विरोधी ताकतें अपने आप हाशिये पर चली जायेंगी।