रांची। झारखंड की रघुवर दास कैबिनेट ने बड़ा फैसला लेते हुए बीपीएल सूची से बाहर के गरीबों को भी आंबेडकर आवास योजना में शामिल कर लिया है। यह फैसला मंगलवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया। बैठक में कुल 17 प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी। बैठक के बाद कैबिनेट सचिव अजय कुमार सिंह ने मीडिया को दी।
कैबिनेट सचिव ने बताया कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर आवास योजना के लाभुकों के चयन में संशोधन की स्वीकृति दी गयी है। 14 अप्रैल 2016 को यह योजना शुरू हुई। 31 मई 2018 के संकल्प 2188 के द्वारा इसे और व्यापक बनाया गया। इस संशोधन के उपरांत यह योजना सबसे संवेदनशील आवास योजना बन जायेगी। इसमें अब आवासविहीन अथवा एक कच्चे कमरे के मकान में रहने वाले परिवार, जिनका नाम एसइसीसी-2011 (सामाजिक आर्थिक एवं जातीय जनगणना–2011) के आंकड़ों के बाहर हैं, को भी अब ग्राम सभा से अनुमोदन के बाद उपायुक्त के द्वारा जांच पूरी कर आवास की स्वीकृति दिये जाने का निर्णय लिया गया है। प्रत्येक जिला को इस वर्ष 250 इकाई आवास स्वीकृत करने की अनुमति भी दी गयी है। यह भी तय किया गया है कि आवास यथासंभव महिलाओं के नाम पर ही स्वीकृत किया जायेगा। यदि परिवार में कोई महिला न हो, तो उस घर की बेटी अथवा परिवार के मुखिया की सहमति से परिवार के किसी अन्य सदस्य के नाम से आवास आवंटित किया जायेगा।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण
कैबिनेट सचिव ने बताया कि बैठक में एक अन्य बड़ा फैसला लिया गया। इसके तहत सरकारी, निजी एवं पीपीपी मोड पर संचालित तकनीकी संस्थानों में शैक्षणिक वर्ष 2019-20 से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की स्वीकृति दी गयी। यह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (अनुसूची-1), पिछड़ा वर्ग (अनुसूचित-2) वर्गों के अलावा है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के दिशा-निर्देश को ध्यान में रखते हुए उपरोक्त परिस्थिति में सरकारी, निजी एवं पीपीपी मोड पर संचालित तकनीकी संस्थानों में शैक्षणिक वर्ष 2019-20 से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू किये जाने का निर्णय लिया गया, जो उक्त संस्थानों में एआइसीटीइ द्वारा स्वीकृत कुल सीटों के अतिरिक्त होगा।
आरक्षण अधिनियम में संशोधन विधेयक को मंजूरी
कैबिनेट ने झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं पिछड़े वर्गों के लिए) अधिनियम, 2001 में संशोधन के लिए विधेयक, 2019 की स्वीकृति दी। इस संशोधन से अधिनियम की धाराओं में आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों के वर्ग के लिए पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण को जोड़ा गया है।
बकाया वेतन के लिए दो करोड़ मंजूर
कैबिनेट ने सर्वोच्च न्यायालय में दायर सिविल अपील (वीर कुंवर पासवान बनाम झारखंड राज्य एवं अन्य) की अवमानना तथा पारित न्यायादेश के अनुपालन में भविष्य निधि निदेशालय के अंतर्गत विभिन्न बोर्ड/निगम के समायोजित 23 लिपिकीय कर्मियों को एसीपी/ एमएसीपी का लाभ स्वीकृति के फलस्वरूप बकाया वेतनादि का भुगतान के लिए झारखंड आकस्मिकता निधि से कुल दो करोड़ रुपये मात्र की अग्रिम निकासी की घटनोत्तर स्वीकृति दी।
इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायादेश के अनुसार राज्य भविष्य निधि निदेशालय के अधीन एकीकृत बिहार की अवधि में विभिन्न/बोर्ड निगम से प्रतिनियुक्ति पर आये 23 कर्मियों को विभागीय लेखा परीक्षा तथा हिंदी टिप्पन प्रारूपण परीक्षा की बाध्यता को शिथिल करते हुए वेतन संरक्षण के आधार पर निगम की प्रथम नियुक्ति की तिथि से एसीपी/एमएसीपी का लाभ स्वीकृति करने के लिए घटनोत्तर स्वीकृति दी गयी।
श्री सिंह ने बताया कि कैबिनेट ने झारखंड राज्य खाद्य आयोग के अधीन विभागीय अधिसूचना 3905, दिनांक 11 दिसंबर 2018 के माध्यम से आयोग के अधीन सृजित राजपत्रित एवं अराजपत्रित पदों के अलावा छह अतिरिक्त अन्य पदों के सृजन की स्वीकृति दी।
कैबिनेट ने पूर्व से संचालित केंद्र प्रायोजित अंब्रेला समेकित बाल विकास सेवाएं योजना अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों को केंद्र सरकार के निर्णय के आलोक में दिनांक 31 मार्च 2020 तक अवधि विस्तार करने की स्वीकृति दी है।
इसके अलावा रांची में दिव्यांगजनों के पुनर्वास एवं विशेष शिक्षण के लिए कंपोजिट रीजनल सेंटर (सीआरसी) स्थापना के लिए भवन निर्माण तथा इसके संचालन के लिए राष्ट्रीय गतिशील दिव्यांग संस्थान (एनआइएलडी), कोलकाता को नि:शुल्क एवं स्थायी रूप से प्रदत्त भू-हस्तांतरण की स्वीकृत्यादेश निरस्त करने की स्वीकृति दी गयी।
कैबिनेट ने झारखंड विद्युत वितरण निगम में पीपीपी मॉडल के द्वारा रांची एवं जमशेदपुर एरिया बोर्ड में विद्युत वितरण लाइसेंसी मॉडल लागू करने के लिए तथा इस कार्य के लिए ट्रांजेक्शन एडवाइजरी की नियुक्ति की स्वीकृति दी है।
श्री सिंह ने बताया कि बैठक में न्यायालय द्वारा पारित न्याय निदेशों के आलोक में विभिन्न नियुक्त वर्ष में नियुक्त शिक्षकों नियुक्ति की तिथि के आधार पर ग्रेड-1 में उनकी वरीयता का निर्धारण विभागीय संकल्प संख्या-3027, दिनांक 14 दिसंबर 2015 के अनुरूप करने की स्वीकृति दी गयी।
इसके अलावा अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति,अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा संचालित आवासीय विद्यालयों में शिक्षण कार्य के लिए तत्कालिक व्यवस्था के तहत सर्विस प्रोक्योरमेंट के आधार पर चयनित अंशकालीन शिक्षकों से कार्य लिये जाने की अवधि विस्तार की स्वीकृति दी गयी।
खनन पट्टों की लीज का अवधि विस्तार
कैबिनेट ने पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत मौजा किरीबुरू/ मेघाहातुबुरू आदि (करमपदा रक्षित वन) के रकबा-1936.06 हेक्टेयर, 879.439 हेक्टेयर एवं 81.97 हेक्टेयर क्षेत्र पर स्टील अथॉरिटी आफ इंडिया लिमिटेड द्वारा आधारित तीन लौह अयस्क खनिज के खनन पट्टों के समामेलन एवं 27 मार्च 2030 तक के लिए अवधि विस्तार की स्वीकृति दी।

देवघर में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना को मंजूरी
कैबिनेट ने बाबा बैद्यनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय देवघर की स्थापना के लिए झारखंड राज्य विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2018 के अनुमोदन की स्वीकृति दी। राज्य में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए तथा संस्कृत पढ़ाने वाले महाविद्यालयों को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार द्वारा संस्कृत भाषा के पठन-पाठन के लिए समर्पित विश्वविद्यालय के गठन करने का विचार किया गया है। इस विश्वविद्यालय का नाम बाबा बैद्यनाथ धाम संस्कृत विश्वविद्यालय है, जिसका मुख्यालय देवघर में होगा।
अब सीओ भी जारी करेंगे स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र
कैबिनेट ने झारखंड का स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र निर्गत करने के संबंध में स्वीकृति दी है। इसके तहत अब स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र निर्गत करने के लिए अंचलाधिकारियों को भी प्राधिकृत किया गया है। अंचलाधिकारियों के स्तर से जारी किया गया स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र धारक के जीवन काल तक सभी कार्यों के लिए मान्य होगा।
विभिन्न सड़कों के लिए रकम मंजूर
कैबिनेट ने गिरिडीह जिला अंतर्गत हेसला- बेको पथ (कुल लंबाई 29.925 किलोमीटर) को ग्रामीण विकास विभाग से पथ निर्माण विभाग को हस्तांतरित करते हुए चौड़ीकरण, मजबूतीकरण एवं पुनर्निर्माण कार्य के लिए 69 करोड़ 24 लाख 93 हजार रुपये मात्र की प्रशासनिक स्वीकृति दी। एक अन्य फैसले के अनुसार देवघर जिला अंतर्गत लालगढ़- लखा-नावाडीह कसियाबा-चोबाना-जिलुवा-बसकोपी पथ (कुल लंबाई 9.728 किलोमीटर) को ग्रामीण विकास विभाग से पथ निर्माण विभाग को हस्तांतरित करते हुए पुनर्निर्माण कार्य के लिए 28 करोड़ दो लाख 31 हजार आठ सौ रुपये मात्र की प्रशासनिक स्वीकृति दी गयी।
संथाल के बाहर भी मांझी थान शेड योजना
एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले के अनुसार आदिवासियों के लिए मांझी थान शेड निर्माण योजना के लिए विभागीय संकल्प ज्ञापांक-105 दिनांक 9 जनवरी 2018 में संशोधन की स्वीकृति दी गयी। संशोधनों में महत्वपूर्ण एक यह संशोधन है कि संथाल परगना के बाहर किन्हीं अन्य जिलों में भी संथाल जनजाति की बहुलता पायी जाती है, तो उन गांव में भी यह योजना क्रियान्वित की जायेगी।

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