लद्दाख सीमा पर चीन की तरफ से भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती के जवाब मेंं भारतीय सेना ने एक और डिवीजन तैनात कर दी है। इस डिवीजन की तैनाती के बाद सिर्फ पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना की कुल चार डिवीजन हो गई हैं, जबकि मई से पहले इस इलाके में केवल एक डिवीजन तैनात थी। यह भारत की ओर से किसी भी सीमा पर सेना की अब तक की सबसे बड़ी तैनाती मानी जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश से ले जाई गई यह नई डिवीजन पूर्वी लद्दाख में तैनात रहेगी, जिसमें 15 से 20 हजार तक सैनिक होंगे। इसके साथ इस डिवीजन का तोपखाना भी लद्दाख ले जाया जाएगा। गलवान की घटना के बाद चीन ने धीरे-धीरे एलएसी पर अपने सैनिकों की तैनाती में जबरदस्त बढ़ोतरी की है। सीमा पर चीनी सैनिकों की तैनाती के जवाब में भारत ने भी टैंक, पैदल सेना के वाहनों और करीब 10 हजार अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की है।
लद्दाख में चीन से लगती हुई 856 किमी. की सीमा काराकोरम पास से शुरू होकर दक्षिण लद्दाख में चुमुर तक जाती है। एलएसी के शुरुआती हिस्से यानी काराकोरम पास से लेकर दौलत बेग ओल्डी, डेपसांग प्लेन, गलवान घाटी, पेंगांग झील, डेमचौक, कोइल और चुमुर तक हर जगह से चीन घुसपैठ करने की कोशिश में है। इनमें से गलवान घाटी और पेंगांग झील के बाद सीमा विवाद का एक बड़ा मुद्दा डेपसांग प्लेन भी है। डेपसांग घाटी के पास ही भारतीय वायुसेना की हवाई पट्टी दौलत बेग ओल्डी भी है जिसे दुनिया की सबसे ऊंची एयर स्ट्रिप होने का खिताब हासिल है।
भारतीय सेना एलएसी पर विवादित इलाकों का कोई भी हिस्सा असुरक्षित नहीं छोड़ना चाहती है, इसीलिए चीनी सेना के जवाब में अपने सैनिकों की भी तैनाती बढ़ाती जा रही है। इससे पहले मई में तनाव शुरू होने के तुरंत बाद ही उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश से दो माउंटेन डिवीजनों को लद्दाख में तैनात किया गया था। परिस्थिति या वातावरण के अभ्यस्त इन सैनिकों की तैैनाती पूर्वी लद्दाख में उन जगहों पर की गई जहां वह मुस्तैदी के साथ चीनियों से मोर्चा संभाल सकते हैं। तनाव शुरू होने के दो महीने बाद चीन की तरफ से और ज्यादा सैनिकों, टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों की तैनाती के बाद ही भारतीय सेना ने भी लद्दाख में सैनिकों की तादाद बढ़ाई है।
मई से पहले भारतीय सेना की एक डिवीजन लेह के पास तैनात थी और इसी के सैनिक सियाचिन से लेकर चुमुर तक के पूरे इलाके की निगरानी करते थे। लेह स्थित सेना की 14वीं कॉर्प इकलौती ऐसी कोर है जिसके पास पाकिस्तान (एलओसी) और चीन (एलएसी) दोनों ही देशों की सीमा संभालने की जिम्मेदारी है। पाकिस्तान के साथ लगने वाले करगिल, द्रास जैसे इलाकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी 8वीं डिवीजन के पास है जबकि चीन की सरहद की सुरक्षा 3 डिवीजन के पास है। इसी 14वींं कोर के कमांंडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह चीन की तरफ से तिब्बत सैन्य जिले के कमांडर मेजर जनरल लिन लियू के साथ तीन दौर की वार्ता कर चुके हैं लेकिन इन बैठकों में बनी सहमतियां जमीन पर नहीं उतर पाई हैं।