वर्ष 2014 से ही हजारों करोड़ रुपये के सारदा और रोजवैली चिटफंड घोटाले की जांच करने वाले केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) पिछले 7 सालों में किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंची है। अब एक बार फिर जब 2021 का विधानसभा चुनाव करीब आ रहा है तो जांच एजेंसी सक्रिय होने लगी है।
एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि रोज वैली और सारदा चिटफंड घोटाला मामले में एक बार फिर संदिग्ध संलिप्तों को नोटिस भेजी जाएगी। दरअसल बंगाल में करीब 15 चिटफंड घोटाले हैं, जिसकी जांच सीबीआई कर रही है। इसमें बड़े पैमाने पर सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेता मंत्री शामिल हैं। 6 सालों से इन नेताओं को नोटिस दिया जाता है। पूछताछ होती है और आज तक ये संदिग्ध सूची में ही हैं। इसमें दाखिल किए गए चार्जशीट में किसी भी तृणमूल नेता या मंत्री को अभी तक आरोपित नहीं बनाया गया है। नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में ईडी पहले से ही सक्रिय हो गई है और तृणमूल कांग्रेस के 11 नेताओं मंत्रियों को नोटिस भेजा जा चुका है। एक जांच अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि कानूनी विकल्पों को तलाश कर एक बार फिर इस मामले में संलिप्त लोगों से पूछताछ की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
उल्लेखनीय है कि तृणमूल कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियां भाजपा पर आरोप लगाती हैं कि राजनीतिक लाभ लेने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल किया जाता है। हर बार चुनावी मौके पर ही केंद्रीय एजेंसियां सक्रिय होती हैं। अब एक बार फिर 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह से जांच एजेंसी का सक्रिय होना सवालों के घेरे में है। सवाल इस पर भी उठते रहे हैं कि 6 सालों की जांच में आखिरकार सीबीआई किसी निष्कर्ष पर क्यों नहीं पहुंच सकी?