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    Home»Jharkhand Top News»झारखंड में खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है कोरोना
    Jharkhand Top News

    झारखंड में खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है कोरोना

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskJuly 15, 2020No Comments6 Mins Read
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    वैश्विक महामारी कोरोना का संकट झारखंड में गहराने लगा है। राज्य में संक्रमितों की संख्या तीन हजार के पार पहुंच गयी है और हर तबके के लोग इस खतरनाक संक्रमण की चपेट में आने लगे हैं। यह राज्य के लिए खतरे की घंटी है। इस बीमारी से ठीक होनेवाले लोगों की संख्या काफी है, लेकिन जिस रफ्तार से संक्रमण फैल रहा है, स्थिति भयावह होती चली जा रही है। झारखंड में 31 जुलाई तक लॉकडाउन लागू है, लेकिन लोगों की लापरवाही और कोरोना के खतरे के प्रति असंवेदनशीलता ने इसे निष्प्रभावी बना दिया है। अस्पतालों के बेड भर चुके हैं और राजधानी रांची में अब कोरोना संक्रमितों का इलाज भी मुश्किल हो गया है। उन्हें घर में ही रहने को कहा जा रहा है। राज्य के विशेषज्ञ पहले ही कह चुके हैं कि झारखंड जैसे राज्य में यदि संक्रमण का सामुदायिक दौर शुरू हो गया, तो स्थिति बेकाबू हो जायेगी और पूरा प्रदेश तबाही की कगार पर पहुंच जायेगा। यह बात सरकार को, प्रशासन को और आम लोगों को समझनी होगी। झारखंड का मर्ज लगातार बढ़ रहा है और इस पर नियंत्रण के लिए सख्ती जैसे कड़े कदम की जरूरत है। झारखंड हाइकोर्ट ने पहले ही यह बात कही है। झारखंड में कोरोना संक्रमण और इस पर नियंत्रण पाने के लिए सख्त कदम के औचित्य को रेखांकित करती आजाद सिपाही की खास रिपोर्ट।

    झारखंड में कोरोना संक्रमण के आंकड़े ने तीन हजार का अंक पार कर लिया है और इससे मरनेवालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। हालत यह हो गयी है कि राज्य के अस्पताल भी फुल हो गये हैं और अब मरीजों को रखने की जगह भी नहीं बची है। राज्य के मंत्री, विधायक, अधिकारी, पुलिसकर्मी और मीडियाकर्मियों को भी इस संक्रमण ने अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। महज साढ़े तीन महीने में ही संक्रमितों की संख्या इतनी हो गयी है। पूरे राज्य में संक्रमित मरीज मिल रहे हैं। यह वाकई चिंताजनक स्थिति है। संतोष की बात यही है कि कोरोना के संक्रमण से राज्य में मौतों की संख्या कम है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यहां की आबोहवा और यहां के लोगों में प्रतिरोधक क्षमता देश के दूसरे राज्यों के मुकाबले अधिक मजबूत है। लेकिन यह कहीं से भी खुश करनेवाली बात नहीं है।
    झारखंड में कोरोना का पहला मामला 31 मार्च को रांची में सामने आया था, लेकिन उसके बाद से यह लगातार बढ़ता जा रहा है। जिलों में जिस तरह मामले बढ़ रहे हैं, स्थिति गंभीर होती जा रही है। ऐसे में अब एकमात्र उपाय यही नजर आ रहा है कि झारखंड में 31 जुलाई तक लागू लॉकडाउन को सख्ती से लागू किया जाये। अब तक यह तो साफ हो गया है कि झारखंड में कोरोना का संक्रमण बाहर से ही आ रहा है। तबलीगी जमात की विदेशी महिला से हुई शुरुआत अब देश के दूसरे हिस्सों में फंसे लोगों के लौटने के साथ बढ़ने लगी है। इस पर तत्काल लगाम लगाने की जरूरत है। राज्य सरकार ने बाहर से आनेवालों पर सख्ती से रोक तो लगा दी है, लेकिन जो पहले ही यहां पहुंच गये हैं, उनकी जांच भी तो नहीं हो रही है। अफसोस इस बात का भी है कि अब भी झारखंड के लोगों को स्थिति की गंभीरता का अंदाजा नहीं है। लोगों को यह समझना होगा कि यदि झारखंड में संक्रमण का सामुदायिक विस्तार शुरू हो गया, तो स्थिति बेकाबू हो जायेगी। एक बार यदि यह संक्रमण गांवों तक पहुंच गया, तो फिर झारखंड को बचाने का कोई रास्ता नहीं बचेगा। यह निराशावादी नजरिया तो है, लेकिन हकीकत है। झारखंड के पास न तो संसाधन है और न सुविधा। पिछले साढ़े तीन महीने में स्वास्थ्य के क्षेत्र में संसाधन नहीं बढ़े हैं। न तो अस्पतालों की क्षमता बढ़ी है और न ही पर्याप्त उपकरण हैं। इसलिए यदि संक्रमितों की संख्या इसी तरह बढ़ती रही, तो फिर उनका इलाज भी संभव नहीं हो सकेगा। इसलिए लोग जितनी जल्दी सतर्क हो जायें, उतना ही अच्छा होगा।
    अब सरकार और प्रशासन के स्तर पर भी सख्त रवैया अपनाने की जरूरत है। लोग जिस तरह लॉकडाउन का उल्लंघन कर रहे हैं और बाजारों-सड़कों में भीड़ उमड़ रही है, संक्रमण के फैलने का खतरा बढ़ता जा रहा है। लोग सामाजिक-धार्मिक आयोजनों से परहेज नहीं कर पा रहे हैं। सावन के महीने में शाम को मंदिरों में जमघट लग रही है। वीआइपी कल्चर अब भी समाज पर हावी है। बैठकें और सभाएं भी हो रही हैं। यह लॉकडाउन के निर्देशों का सरासर उल्लंघन तो है ही, समाज को खतरे में डालने का प्रयास भी है। ऐसे लोगों पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। ऐसे आयोजन तो बाद में भी होते रहेंगे। समाज के सभी वर्गों और संप्रदायों को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा और झारखंड को बचाने के लिए आगे आना होगा। यह भी एक हकीकत है कि कोरोना का संक्रमण रोकने में आम लोगों की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण है। सरकार और प्रशासन के लिए भी अब यह जरूरी हो गया है कि वह सख्ती से लॉकडाउन का पालन कराये। इसलिए अब समय आ गया है कि झारखंड के लोग, यहां की स्वास्थ्य मशीनरी और यहां का प्रशासन सतर्क हो जाये। मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि सरकार की पहली चिंता लोगों की जान बचाने की है और इसके लिए हरसंभव कदम उठाये जायेंगे। आठ जून से लॉकडाउन में मिलनेवाली छूटों का झारखंड में बेजा लाभ नहीं उठाया जाये, यह सुनिश्चित करना होगा। झारखंड के लोग जितनी सतर्कता बरतेंगे, राज्य की स्वास्थ्य मशीनरी पर उतना ही कम दबाव पड़ेगा और तब संक्रमितों की देखभाल भी अच्छे तरीके से हो सकेगी। इसके साथ ही संसाधन जुटाने के मोर्चे पर भी अतिरिक्त सक्रियता दिखानी होगी। राज्य को बड़ी संख्या में टेस्टिंग किट की जरूरत है। इस जरूरत को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को तत्काल केंद्र से बात करनी होगी, क्योंकि यह केंद्र के अधिकार क्षेत्र की बात है। संक्रमण की पहचान जितनी तेजी से होगी, उस पर नियंत्रण पाना उतना ही आसान होगा, इस हकीकत को ध्यान में रख कर आगे की रणनीति बनानी होगी। कुल मिला कर स्थिति चिंताजनक है। यदि झारखंड में संक्रमण फैलता है, तो इसका सीधा असर पूरे देश पर पड़ेगा। इसलिए पूरे देश को इस खतरे को टालने के लिए तत्काल सक्रिय होने की जरूरत है। इस क्रम में भले ही लॉकडाउन को आगे बढ़ाना पड़े और सख्ती बरतनी पड़े, तो भी ऐसा किया जाना चाहिए।

    Corona has reached a dangerous state in Jharkhand
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