अजय शर्मा
रांची। झारखंड के चर्चित फर्जी सरेंडर कांड के नये सिरे से अनुसंधान का आदेश दिया गया है। वर्ष 2014 में 514 आदिवासी युवकों को नक्सली बताकर पुराने जेल कैंपस में सरेंडर करा दिया गया था। युवक वहीं रहते थे। इन युवकों से तीन से पांच लाख रुपये की वसूली भी नौकरी दिलाने के नाम पर की गयी थी। इस संबंध में लोअर बाजार थाना में कांड संख्या 77/14 दर्ज है। इस मामले में रांची पुलिस ने आरोपियों को बचाने के लिए अनुसंधान की दिशा ही बदल डाली। पुलिस का सारा फोकस कांटाटोली स्थित दिग्दर्शन नामक इंस्टीट्यूट के मालिक और पुलिस के लिए काम करनेवाले रवि बोदरा के इर्द-गिर्द ही रहा। इसलिए दोषी पुलिस अधिकारियों तक अनुसंधान नहीं पहुंच पाया।

रांची पुलिस को निर्देश
रांची पुलिस को कई बिंदुओं पर नये सिरे से जांच करने के निर्देश दिये गये हैं। पुलिस को पीड़ित युवकों और इन आदिवासी युवकों को पुराने जेल परिसर में रखने वाले रांची के तत्कालीन एसएसपी से पूछताछ करने को कहा गया है। उनके अलावा कोबरा बटालियन के अधिकारियों से भी पूछताछ होगी। सभी की भूमिका भी तय करने को कहा गया है। पुलिस मुख्यालय की ओर से इस संबंध में एक दिशा-निर्देश रांची पुलिस को दिया गया है, जिसमें पुराना जेल जाकर यह पता लगाने का भी निर्देश दिया गया है कि उस समय सीआरपीएफ के कौन लोग थे। रांची जेल के अधिकारियों ने इन युवकों को खाना खिलाने के मद में खर्च हुए 42 लाख रुपये का भुगतान करने का अनुरोध भी किया था। उसकी भी जांच होगी।

क्या थी तैयारी
तैयारी यह थी कि इन सभी बेरोजगार आदिवासी युवकों को नक्सली बताकर एक कार्यक्रम आयोजित कर सरेंडर कराया जायेगा। यह भी बताया जाये कि झारखंड से नक्सली खत्म हो गये हैं।

एमवी राव ने किया था खुलासा
उस समय सीआरपीएफ के आइजी एमवी राव थे। रांची आकर उन्होंने डीआइजी के साथ पुराना जेल का दौरा किया। वहां जाने पर उन्हें पता चला था कि सब कुछ फर्जी है। राव ने एक पत्र उस समय पुलिस मुख्यालय को लिखकर यह खुलासा किया कि नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलानेवाले कोबरा बटालियन के जवानों को फर्जी नक्सलियों की सुरक्षा में लगा दिया गया है। इस पत्र के बाद हड़कंप मच गया था।

पीड़ितों के बयान पर एफआइआर
पीड़ितों के बयान पर लोअर बाजार थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी, लेकिन अनुसंधान में अधिकारियों को बचा लिया गया। अब नये सिरे से अनुसंधान होगा और सबों से पूछताछ होगी। यह केस सीआइडी को जा सकता है।

कृष्णा उरांव ने दिया ज्ञापन
हाल ही में पीड़ित आदिवासी कृष्णा उरांव ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह और डीजीपी एमवी राव को पत्र लिखकर इस मामले में न्याय दिलाने का अनुरोध किया था। पीड़ितों ने यह आरोप लगाया था कि दिग्दर्शन इंस्टीट्यूट के मालिक और रवि बोदरा पर चार्जशीट कर रांची पुलिस ने केस बंद कर दिया।

सीएम भी चाहते हैं न्याय मिले
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी चाहते हैं कि इस मामले में पीड़ितों को न्याय मिले। वह अपने स्तर से भी इस दिशा में कड़ा कदम उठा सकते हैं।

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