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    Home»Jharkhand Top News»मजदूरों को स्वावलंबी बना रही है हेमंत सरकार
    Jharkhand Top News

    मजदूरों को स्वावलंबी बना रही है हेमंत सरकार

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskJuly 25, 2020No Comments3 Mins Read
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    अजय शर्मा
    रांची। कोरोना के दौरान बाहर से लौटे प्रवासी मजदूरों के साथ स्थानीय कामगारों के सामने पैदा हुए रोजगार के संकट पर मनरेगा ने बहुत हद तक मरहम लगा दिया है। हेमंत सोरेन सरकार ने मनरेगा में मजदूरों को काम देने का निर्देश दिया था। मनरेगा में पहले साढ़े तीन लाख मजदूर निबंधित थे। लॉकडाउन के दौरान इनकी संख्या साढ़े सात लाख से अधिक हो गयी। इसमें ग्रामीण मजदूर के अलावा वैसे मजदूर भी शामिल हैं, जो रोजगार की तलाश में शहरों में जाते थे। इन्हें न केवल रोजगार उपलब्ध कराया गया, बल्कि समय पर भुगतान भी कर दिया गया। लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को भुगतान करने के मामले में झारखंड पहले नंबर पर है। इसके नजदीक केरल और फिर उत्तराखंड हैं।
    मनरेगा में व्यक्तिगत लाभ की योजना संचालित करने के मामले में भी झारखंड अभी तक देश में सबसे ऊपर है। गरीबों को परिसंपत्ति उपलब्ध कराने के मामले में भी झारखंड टॉप पर चल रहा है। मनरेगा की स्वीकृत योजनाओं का 93 फीसदी व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं का है। परिसंपत्ति उपलब्ध कराने में भी मनरेगा के तहत झारखंड में बेहतर काम हुए हैं। अभी तक 1.60 लाख लोगों को परिसंपत्ति मिल चुकी है। इसके तहत तालाब और कूप निर्माण शामिल हैं। किसी किसान को अगर कुआं या तालाब इस योजना के तहत बना दिया जाता है, तो वह मनरेगा का मजदूर नहीं रह जाता है, बल्कि वह अपनी जमीन पर खेती करने लगता है। इस तरह की करीब पांच लाख योजनाओं पर काम चल रहा है, जिससे मजदूरों का जीवन स्तर ऊंचा उठाया जा सके। मनरेगा में बेहतर काम करनेवाले जिलों में आदिवासी बहुल जिले शामिल हैं। इसमें खूंटी, गुमला, सिमडेगा और रांची का ग्रामीण इलाका टॉप पर है। वहीं गढ़वा, पलामू और चतरा में इस योजना में थोड़ी गड़बड़ी है। जो लाभ गरीबों को मिलना चाहिए, वह नहीं मिल पा रहा है। देवघर, पाकुड़ और संथाल के जिलों में कहीं गड़बड़ी, तो कहीं बेहतर काम हुआ है। झारखंड में मनरेगा को मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए नहीं चलाया जा रहा है, बल्कि उन्हें इस योजना के तहत परिसंपत्ति उपलब्ध करा कर स्वावलंबी बनाने और मजदूर का ठप्पा मिटाने के लिए चलाया जा रहा है। मनरेगा का बजट 17 सौ करोड़ का है। कोरोना के दौरान साढ़े सात सौ करोड़ का काम हुआ है।
    पूरी टीम को जाता है श्रेय : मनरेगा आयुक्त
    मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने कहा कि इसका श्रेय मनरेगा कर्मियों से लेकर पूरी टीम को जाता है। सभी की ईमानदार पहल के कारण ही बेहतर प्रदर्शन संभव हो सका है।

    Hemant government is making laborers self-reliant
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