रांची। झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को लेकर कड़ी टिप्पणी की है। अदालत ने कहा है कि जांच में तेजी लायी जाये। कहीं ऐसा न हो कि झारखंड में भी बिहार जैसे हालात हो जायें। मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शुक्रवार को कहा कि बिहार में कोरोना का कहर बहुत तेजी से बढ़ा है। ऐसे में झारखंड को भी सावधान रहने की जरूरत है। समय से कोरोना की जांच और इलाज जरूरी है। ऐसा नहीं होने पर राज्य में कोरोना संक्रमण की स्थिति राज्य में बदतर हो सकती है। झारखंड में कोरोना संक्रमण की स्थिति भयावह न हो, इस पर सरकार को ध्यान देना होगा। कोरोना पर नियंत्रण जरूरी है। जांच की गति बढ़ाते हुए कारोना की विस्फोटक स्थिति से बचा जा सकता है। अदालत ने कहा कि कोरोना के इलाज में भी प्लाज्मा थेरेपी के संबंध में भी स्वास्थ्य विभाग से राय ली जा सकती है।
इससे पहले अदालत ने महाधिवक्ता राजीव रंजन से पूछा कि राज्य में कोरोना जांच की गति क्यों धीमी है। अदालत ने कहा कि जब हाइकोर्ट के कर्मियों के सैंपल की जांच रिपोर्ट इतने विलंब से आ रही है, तो आम लोगों का क्या हाल हो रहा होगा, यह समझा जा सकता है। जिस तरह सैंपल लेने के कई दिनों के बाद रिपोर्ट आती है, उसमें अगर कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है, तो रिपोर्ट आने तक अनजाने में वह कई और लोगों तक कोरोना पहुंचा देता है। अदालत ने राज्य सरकार को कई सुझाव भी दिये। उसने कहा कि अगर राज्य सरकार प्रस्ताव देती है, तो हाइकोर्ट के तृतीय एवं चतुर्थवर्गीय कर्मियों के लिए हाइकोर्ट के एनेक्सी भवन को आइसोलेशन वार्ड बनाने पर विचार किया जा सकता है। इसी तरह हाइकोर्ट के जज के लिए गेस्ट हाउस को आइसोलेशन वार्ड बनाने पर विचार हो सकता है। धुर्वा स्थित ज्यूडिशियल एकेडमी के खाली भवन का आइसोलेशन वार्ड के रूप में इस्तेमाल करने का भी अदालत ने सुझाव दिया। हाइकोर्ट के नये भवन का भी इस्तेमाल आइसोलेशन वार्ड के रूप में हो सकता है।
महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि कोरोना की जांच में तेजी लायी गयी है। कभी-कभी किसी सेंटर पर कर्मी कोरोना संक्रमित मिलते हैं, तो उसे कुछ समय के लिए बंद कर दिया जाता है। सेनिटाइजेशन होने के बाद फिर से कोरोना की जांच चालू की जाती है।
हाइकोर्ट में जितने कर्मियों की जांच करायी गयी थी, उन सभी की रिपोर्ट आ चुकी है। करीब पांच व्यक्तियों के टेस्ट में थोड़ी शंका थी। इसलिए उनके सैंपल की फिर से जांच की जा रही है। कोर्ट ने मामले में 31 जुलाई तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
प्रोजेक्ट भवन कंटेनमेंट जोन घोषित
इस बीच झारखंड सरकार के प्रोजेक्ट भवन स्थित मुख्यालय को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया गया है। इसके दूसरे और तीसरे तल्ले को सील कर दिया गया है। यहां के कर्मचारियों के कोरोना संक्रमित मिलने के बाद यह कदम उठाया गया है। जानकारी के अनुसार शनिवार और रविवार को प्रोजेक्ट भवन, पुलिस मुख्यालय और दूसरे कार्यालयों को सेनिटाइज किया जायेगा।
रिम्स में प्लाज्मा थेरेपी 28 से
झारखंड सरकार ने रिम्स में प्लाज्मा थेरेपी शुरू करने का फैसला किया है। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बताया कि रिम्स में प्लाज्मा थेरेपी सेंटर का उद्घाटन 28 जुलाई को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन करेंगे। उन्होंने कहा कि प्लाज्मा थेरेपी शुरू होने से गंभीर रूप से संक्रमित लोगों का भी बेहतर इलाज हो सकेगा।
रिम्स में और 72 बेड बनाये गये
कोरोना संक्रमितों के इलाज में बेड की समस्या को देखते हुए रिम्स में 72 अतिरिक्त बेड की व्यवस्था की गयी है। स्वास्थ्य मंत्री ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कल से इन बेड पर मरीजों को रखा जायेगा। उन्होंने कहा कि 20 जुलाई को हुई बैठक में उन्होंने बेड की संख्या बढ़ाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने का निर्देश रिम्स प्रबंधन को दिया था। इसी क्रम में रिम्स प्रबंधन ने मेडिसिन विभाग के डी-1 और डी-2 के 36-36 वार्ड की व्यवस्था की है, जिसमे बिना लक्षणों वाले मरीजों को रखा जायेगा।
चेंबर के फैसले का मिला-जुला असर
इधर शुक्रवार, शनिवार और रविवार को दुकानें बंद रखने के झारखंड चेंबर आॅफ कॉमर्स के फैसले का राजधानी समेत दूसरे शहरों में पहले दिन मिला-जुला असर देखा गया। राजधानी समेत राज्य भर में अधिकांश दुकानें खुली रहीं, हालांकि बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों के कार्यालय बंद रहे। सुबह में दुकानें बंद थी, लेकिन दोपहर होते-होते उनके भी शटर खुल गये।
स्कूल-कॉलेज खोलने पर सुझाव मांगा
झारखंड सरकार ने राज्य में स्कूल और कॉलेज खोलने के लिए अभिभावकों से मंतव्य मांगा है। अभिभावक अपने सुझाव आॅनलाइन दे सकते हैं। जेइपीसी की वेबसाइट पर 30 जुलाई तक सुझाव स्वीकार किये जायेंगे।