आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। झामुमो ने गोड्डा के भाजपा सांसद डॉ निशिकांत दुबे की लोकसभा की सदस्यता रद्द करने की मांग की है। पार्टी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि पार्टी ने चुनाव आयोग को इस आशय का पत्र भेजा है। उन्होंने कहा कि पत्र में चुनाव आयोग से आग्रह किया गया है कि सांसद की चल-अचल संपत्ति की जांच करायी जाये। इसके अलावा उनके खिलाफ गलत शपथ पत्र देने के आरोप में कानूनी कार्रवाई की जाये।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी आॅफ मैनेजमेंट स्टडीज ने साफ कर दिया है कि निशिकांत दुबे की डिग्री फर्जी है। चुनाव आयोग को दिये गये हलफनामे में निशिकांत दुबे ने खुद को 1993 में दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी आॅफ मैनेजमेंट स्टडीज से एमबीए (पार्ट टाइम) किये जाने की जानकारी दी है। यह अब फर्जी साबित हो चुका है। झामुमो नेता ने कहा कि निशिकांत दुबे की संसद सदस्यता तत्काल रद्द की जाये और उनके खिलाफ फर्जीवाड़ा का मामला दर्ज किया जाये। बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी आॅफ मैनेजमेंट स्टडीज के डीन ने सीआइडी के इंस्पेक्टर को मंगलवार को लिखे पत्र में कहा है कि 1993 में निशिकांत दुबे नामक किसी छात्र ने न तो यहां नामांकन लिया और न ही परीक्षा पास की है। डीन ने पत्र में यह भी कहा है कि इस मामले में आरटीआइ के तहत 2016 में भी जवाब दिया जा चुका है।
मैं शुचिता की राजनीति करता हूं : निशिकांत
इधर सांसद निशिकांत दुबे ने फर्जी डिग्री के आरोपों के जवाब में कहा है कि उन्होंने एमबीए, पीएचडी सब कर रखी है। उन्होंने इस बारे में ट्वीट कर कहा, मैं शुचिता की राजनीति करता हूं। जिसको केस करना है, जांच करना है, करिये। मुंह की खायेंगे।
बाबूलाल मरांडी ने पत्र पर उठाया सवाल
इस बीच भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने सीआइडी को भेजे गये पत्र के सार्वजनिक होने पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, यह पत्र अगर नकली नहीं है, तो यह दिल्ली से कल 28 जुलाई को झारखंड पुलिस के सीआइडी को आता है। फिर उसी दिन सीधे झामुमो पार्टी के ट्विटर हैंडलर को भेज दिया जाता है और पार्टी की ओर से यह तुरंत जारी भी कर दिया जाता है। बाबूलाल ने एक अन्य ट्वीट में कहा, यह समझ में नहीं आ रहा कि झारखंड पुलिस और सीआइडी सरकारी विभाग है या झामुमो पार्टी का एजेंट, जो पार्टी संगठन के अंदर, पार्टी के लिए, पार्टी के सहयोगी संगठन की तरह काम कर रहा है। उन्होंने आगे कहा, मुख्यमंत्री जी, क्या ऐसे ही पुलिस बल पर आप राज्य में कानून-व्यवस्था और न्याय का शासन चलाना चाहते हैं? झारखंड ही नहीं, देश-विदेश में मौजूद यहां की जनता को आप इस सवाल का जवाब जरूर दीजियेगा, उम्मीद है आपसे। वैसे हम झारखंड पुलिस के उन कुछ अधिकारियों से, जो राज्य में कानून का शासन से इतर किसी भी राजनीतिक पार्टी के एजेंट के रूप में काम करते हैं, से अपील करते हैं कि वे अतीत में ऐसा करने वालों का अंजाम देखें और अपनी हरकतों से बाज आयें।