राजीव
रांची। स्थानीय नीति को लेकर एक बार फिर राजनीतिक पारा चढ़ने लगा है। शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा है कि झारखंड में 1932 का खतियान लागू होगा। यह हर हाल में लागू होना भी चाहिए। आजाद सिपाही के साथ फोन पर बातचीत में जगरनाथ महतो ने बताया कि मौजूदा सरकार ने पहली कैबिनेट में ही तय कर दिया है कि तीन सदस्यीय कमेटी ही स्थानीय नीति के प्रारूप को तय करेगी। इसमें उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कह दिया है कि 1932 के खतियान को प्राथमिकता दी जाये। साथ ही 1952 में संपन्न हुए पहले आम चुनाव में जिनका वोटर लिस्ट में नाम है, उनको भी झारखंडी माना जा सकता है। बता दें कि अप्रैल 2016 में रघुवर दास की सरकार ने स्थानीय नीति की घोषणा की थी, जिसमें 1985 को आधार बनाया गया था। इसके तहत वैसे झारखंड के निवासी, जो व्यापार, नियोजन एवं अन्य कारणों से झारखंड राज्य में विगत 30 वर्ष या उससे अधिक समय से निवास करते हों एवं अचल संपत्ति अर्जित की हो या ऐसे व्यक्ति की पत्नी, पति या संतान हो, उन्हें झारखंड का निवासी माना गया था। उसमें ऐसे आधे दर्जन प्रावधानों को शामिल किया गया था। इसके तहत स्थानीय का दावा पेश किया जा सकता था। 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनाने की बात पहले भी शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो कर चुके हैं।
चुनाव में स्थानीय नीति रहा है झामुमो मुद्दा
स्थानीय नीति को नये सिरे से परिभाषित करने को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बड़ा आंदोलन किया था। इस मुद्दे पर दो वर्षों तक विधानसभा की कार्यवाही बाधित रही और विपक्ष में रहते हुए झामुमो के विधायकों ने सदन चलने नहीं दिया था। पार्टी ने इसे चुनाव मुद्दा बनाया और अप्रत्याशित सफलता हासिल की। अब एक बार फिर शिक्षा मंत्री के बयान के बाद सियासत गरमा गयी है।

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