भुवनेश्वर, भगवान जगन्नाथ की बाहुडा यात्रा बिना भक्तों के ही (वापसी यात्रा) शुरू हो गई है। निर्धारित समय से पूर्व ही पहंडी बिजे की नीति भी प्रारंभ हो गई है।
इसमें सबसे पहले चक्रराज सुदर्शन को पहंडी कर रथ पर ले जाया गया, जिसके बाद भगवान बलभद्र को पहंडी कर मौसी मां मंदिर से उनके रथ तालध्वज में लाया गया। वर्तमान में देवी सुभद्रा की पहंडी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसके बाद भगवान जगन्नाथ जी की पहंडी कर उन्हें उनके रथ नंदीघोष में लाया जाएगा। इसके बाद छेरा पहँरा होगी व इसके बाद रथों को खिंचा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि नौ दिन के बाद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा मौसी मां के घर से श्रीमंदिर लौटते हैं। इसे बाहुडा यात्रा कहा जाता है।
सुप्रीमकोर्ट के निर्देश के अनुसार इस बार बिना भक्तों के बाहुडा यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। कोविड टेस्ट कराने के बाद व निगेटिव आने के बाद सेवायत इसमें शामिल हैं।