कोरोना के बढ़ते मामलों के साथ केंद्र सरकार ने अनलॉक-3 की घोषणा कर दिया है। वहीं, बिहार में 16 अगस्त तक के लिए लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है। इस बीच देश के विभिन्न शहरों से प्रवासी कामगारों आने-जाने का सिलसिला जारी है। जितने श्रर्मिक आ रहे हैं करीब उतने श्रमिक रोज परदेस जा भी रहे हैं। लेकिन बेगूसराय के हजारों श्रर्मिक ऐसे हैं जो अब किसी भी हालत में परदेस नहीं जाएंगे, वे यहीं रह कर विकास की नई गाथा लिखने का संकल्प ले चुके हैं।
देश के विभिन्न शहरों को समृद्ध बनाने वाले ये श्रमिक अब परदेस में अपनाए गए कौशल का उपयोग अपने गांव और इलाके को समृद्ध करने में करेंगे। कोई अगरबत्ती बनाना शुरू करने जा रहा है तो कोई सर्फ और साबुन की फैक्ट्री लगाएगा। कुछ लोग जूता फैक्ट्री लगाने के लिए आगे आए हैं तो सैकड़ों लोग विभिन्न तरह के अन्य स्वरोजगार शुरू करने के जुगाड़ में लग गए हैं। राज्य के बाहर से आए कामगारों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने के लिए शासन-प्रशासन एक्शन मोड में है तथा इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य के बाहर से आए कामगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सभी विभागों द्वारा समन्वय स्थापित कर अधिक से अधिक श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। हुनरमंद श्रमिकों की सहायता से स्थानीय आवश्यकता के अनुरूप औद्योगिक इकाइयों की स्थापना की दिशा में पहल की जा रही। स्थानीय स्तर पर संचालित औद्योगिक इकाई को प्रेरित किया जा रहा है। रिफाईनरी, हर्ल खाद कारखाना, एनटीपीसी, एनएचएआई, आरसीडी, आरडब्ल्यूडी एवं पीएचईडी के साथ समन्वय किया गया है। बाहर से लौटे श्रमिक अपने हुनर के अनुसार रोजगार समूह का निर्माण कर कार्य आरंभ करेंगे तो प्रशासन ऐसे समूहों को कैपिटल इनपुट उपलब्ध करवा सकती है।
प्रवासी कामगारों के काउंसलिंग के दौरान प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, मुद्रा योजना, मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति/जनजाति उद्यमी योजना आदि के संबंध में जानकारी दी जा रही है। ताकि वे इन योजनाओं के माध्यम से रोजगार प्रारंभ कर सकें। इसके अतिरिक्त सरकारी निर्माण कार्य, मनरेगा, पशुपालन एवं मत्स्य, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम कलस्टर, हस्तशिल्प, हस्तकरघा एवं दरी निर्माण समेत अन्य रोजगारपरक योजनाओं से जुड़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिसका असर दिख रहा है कि अब परदेस के विभिन्न शहरों में रह रहे श्रमिक भी औद्योगिक नवप्रवर्तन योजना, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना तथा आत्मनिर्भर भारत योजना आदि के सहारे सफलता के नए आयाम पाने के लिए घर की ओर भागे-भागे से आ रहे हैं। असम से लौटे प्रमोद राम, अखिल राम, विनोद महतों, गणेश महतों, रंजीत महतो आदि ने शुक्रवार को बताया कि स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिलने की मजबूरी में घर से हजारों किलोमीटर दूर परिवार के लिए रोजी-रोटी का जुगाड़ अपना श्रम सस्ते में बेचकर कर रहे थे। कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा दिन आएगा, जब परदेस में आर्थिक रूप से मजबूत होने गए हम लोगों को वहां से कंगाल होकर घर लौटना पड़ेगा। वहां लॉकडाउन के कारण काम-धंधा बंद हो गया, सरकार ने खाने का उपाय नहीं किया, कई रातें खाली पेट रहना पड़ा। अब मोदी सरकार के विभिन्न योजना की जानकारी पाकर गांव आए हैं। अब किसी हालत में परदेस नहीं जाएंगे, गांव में ही रहकर स्वरोजगार करेंगे। हमारे स्वरोजगार और श्रम शक्ति से ही सशक्त बिहार और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण होगा।