पश्चिम बंगाल और आसपास के क्षेत्रों में हिंदुत्व की रक्षा के लिए “हिंदू संहति” नाम से संगठन की स्थापना करने वाले पूर्व प्रचारक तपन घोष की मौत रविवार को हो गई है। वह कोरोना पॉजिटिव थे। उनकी मौत पर संघ ने दुख व्यक्त किया है।
पश्चिम बंगाल के क्षेत्रीय संघचालक अजय नदी ने बयान जारी कर कहा है कि तपन घोष का जीवन हिंदुत्व को समर्पित था और संघर्षरत जीवन का अंत हो गया है। कोरोना पॉजिटिव होने के बाद कोलकाता के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे। रविवार शाम उनकी मौत हो गई। वह 68 साल के थे। पश्चिम बंगाल में हिंदुत्व के लिए मुखरता से काम करने वाले नेताओं में से एक थे। राज्य के कोने कोने में उन्होंने लोगों को एकजुट किया था और हिंदू रीति-रिवाजों के प्रति श्रद्धा स्थापित किए थे। न केवल भारत बल्कि दुनिया भर के विद्वानों में उनकी पैठ थी और कई वैश्विक सेमिनारों में हिस्सा लेते रहे थे।
नंदी ने जारी बयान में कहा है, “पूर्व प्रचारक तपन घोष ने कोरोना के साथ लड़ते लड़ते अंतिम श्वास ली। बीएससी की परीक्षा अच्छे से पास करने के बाद वे प्रचारक के रूप में 35 साल तक कार्यरत रहे। विविध दायित्व के साथ, अभावीप, बजरंग दल का अ. भा. कार्यभार सम्भाला। प्रचारक जीवन से मुक्त होने के बाद उन्होंने अपना जीवन हिंदुत्व की रक्षा-सुरक्षा के लिए व्यतीत किया। समाज मे उनकी पहचान वही बनी। मेरे घर के साथ रहते थे। हम दोनो श्रद्धानंद पार्क शाखा के स्वयंसेवक रहे। उनके अचानक जाने से मेरी व्यक्तिगत क्षति हुई है, साथ साथ जुड़े हुए अनेक स्वयंसेवक को भी दुःख हुआ है। माँ काली उनकी आत्मा को सदगति दें और आप्त परिवार को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करे, यही प्रार्थना।”