सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की गई है कि चीनी कंपनियों के महाराष्ट्र, गुजरात सरकार और अडानी ग्रुप के साथ हुए समझौते को रद्द किया जाए। जम्मू-कश्मीर की वकील सुप्रिया पंडित ने याचिका दायर कर मांग की है कि गलवान घाटी में हुए टकराव के बाद सरकार चीन के साथ अपनी व्यापार नीति को भी सार्वजनिक करे।
याचिका में कहा गया है कि चीन के खिलाफ देश के लोगों में काफी गुस्सा है। आम नागरिक और व्यापारी संगठन केंद्र सरकार से चीनी सामानों के बहिष्कार की मांग कर रहे हैं। देश भर में इसे लेकर प्रदर्शन किए जा रहे हैं और चीनी सामान जलाए जा रहे हैं। दोनों देश तनाव कम करने के लिए बातें कर रहे हैं। याचिका में मीडिया की खबरों को आधार बनाते हुए कहा गया है कि गुजरात और महाराष्ट्र सरकार ने चीनी कंपनियों से मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अडानी समूह ने चीन की बड़ी कंपनी ईस्ट होप ग्रुप के साथ भारतीय बंदरगाहों के मैन्युफैक्चरिंग ईकाईयों के लिए करीब 300 मिलियन का करार किया है। एमओयू के तहत ईस्ट होप ग्रुप ने गुजरात के मुंद्रा एसईजेड में मैन्युफैक्चरिंग इकाई शुरू करने का प्रस्ताव दिया है।
याचिका में कहा गया है कि 29 जून को केंद्र सरकार ने टिकटॉक, शेयरइट, यूजी ब्राऊजर और वीचैट जैसे 59 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया। ऐसा करते समय केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला दिया है। इन सभी ऐप्स में चीनी कंपनियां की बहुमत हिस्सेदारी है। ऐसे में कुछ राज्य सरकारों और कुछ व्यापारिक घरानों को चीनी कंपनियों से करार की अनुमति कैसे दी जा सकती है। याचिका में मांग की गई है कि चीनी कंपनियों से करार खत्म किया जाए। याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार चीन के साथ अपनी व्यापार नीति को सार्वजनिक करे।
Share.

Comments are closed.

Exit mobile version