रांची। झारखंड में 25 करोड़ रुपये तक का सरकारी काम अब सिर्फ लोकल ठेकेदार को ही मिलेगा। भवन निर्माण विभाग के इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को अपनी स्वीकृति दे दी है। विभाग के प्रस्ताव में कहा गया है कि भवन निर्माण विभाग के झारखंड के सभी उपभागों में 25 करोड़ रुपये की लागत तक के कार्य के लिए आमंत्रित की जाने वाली निविदाएं स्थानीय संवेदक/निविदाकारों के लिए आरक्षित होंगी। झारखंड लोक निर्माण विभाग संहिता एवं बिहार वित्त नियमावली के संगत नियमों को खत्म करने की सलाह के साथ भवन निर्माण विभाग के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वीकृति दे दी है।
अब इस प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए मंत्रिपरिषद की बैठक में रखा जायेगा। इसमें कहा गया है कि निविदाओं में स्थानीय निवासियों की भागीदारी सुनिश्चित करने और उनको रोजगार का उचित अवसर प्रदान करके उनके सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के उद्देश्य से राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है। राज्य सरकार न सिर्फ सरकारी नौकरियों में, बल्कि कई योजनाओं के जरिये राज्य में रोजगार सृजन के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
27 मई को सीएम ने की थी घोषणा
बता दें कि सीएम हेमंत सोरेन ने 26 मई को इस आशय की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि स्थानीय ठेकेदार को ही योजनाओं में प्राथमिकता दी जायेगी, ताकि वे योजनाओं में कार्य कर राज्य के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकें। उन्होंने कहा था कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि स्थानीय लोगों को रोजगार एवं स्वरोजगार से जोड़ने की दिशा में झारखंड में यह फैसला मील का पत्थर साबित होगा।
मानव तस्करी से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी : हेमंत
रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिल्ली के हरिनगर से बरामद ट्रैफिकिंग की शिकार गुमला निवासी 16 वर्षीय बच्ची की सकुशल वापसी हेतु पुलिस महानिदेशक और गुमला उपायुक्त को निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मानव तस्करी से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। वह इस प्रयास के लिए दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल को धन्यवाद देते हैं, जिनके सार्थक प्रयास से झारखंड की बेटी सुरक्षित रेस्क्यू कर ली गयी। मुख्यमंत्री को बताया गया कि गुमला निवासी 16 वर्षीय बच्ची को मंगलवार देर रात दिल्ली स्थित हरिनगर से रेस्क्यू करवाया गया है। बच्ची से जबरन काम लिया जाता था। मामले की जानकारी के बाद मुख्यमंत्री ने उपरोक्त निर्देश दिया।