कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट 40-60 फीसदी ज्यादा संक्रामक है। इस संबंध में नेशनल कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. एनके अरोड़ा टीम ने कोरोना के डेल्टा वेरिेएंट बी.1.617.2 को लेकर नई रिसर्च की है। इस शोध के नतीजे के मुताबिक कोरोना का डेल्टा वेरिएंट बी.1.617.2 अल्फा वेरिएंट की तुलना में ज्यादा खतरनाक है। डेल्टा वेरिेएंट से अल्फा के मुकाबले 40 से 60 फीसदी ज्यादा संक्रमण फैलने का खतरा है।

वहीं, वैक्सीन को लेकर आईसीएमआर द्वारा किए गए अध्ययनों के अनुसार पता चला है कि वर्तमान में दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी हैं। रिसर्च के मुताबिक अगर ज्यादा से ज्यादा लोगों का टीकाकरण हो तो कोरोना के किसी भी वेरिएंट को आसानी से हराया जा सकता है।

डॉ. एन के अरोड़ा बताते हैं कि अभी यह कहना मुश्किल है कि डेल्टा वेरिएंट के कारण होने वाली बीमारी ज्यादा गंभीर है या नहीं लेकिन ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड की दो डोज कोरोना के बी1.617.2 वेरिएंट के संक्रमण को रोकने में 80 प्रतिशत से अधिक प्रभावी पाई गई है। उन्होंने बताया कि भविष्य में आने वाली वायरस के प्रकोप से वैक्सीन बचा सकती है। अगर सभी लोग टीका लगवा लें तो आगामी संभावित कोरोना की लहर को धीमा और नियंत्रित किया जा सकता है।

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