कश्मीर घाटी में कुर्बानी का पर्व ईद-उल-अजहा बुधवार को पूरे जोश व धार्मिक उल्लास के साथ मनाया गया।
कश्मीर घाटी में बुधवार सुबह से ही बारिश के बावजूद लोगों द्वारा हजारों भेड़-बकरियों के अलावा अन्य जानवरों की बलि दी गई। लोग बलि के जानवरों का मांस पड़ोसियों, दोस्तों और रिश्तेदारों व गरीबों में बांटते देखे गए।
श्रीनगर में लोगों ने हजरत इब्राहिम की बलिदान की भावना का सम्मान करने के लिए अपने घरों और अन्य स्थानों पर जानवरों का वध किया। लोगों ने एक-दूसरे को बधाई देने के लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल किया।
हाल ही में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि जिन लोगों को टीका लगाया गया है, वे ही कोविड-19 के खतरे को देखते हुए जानवरों का वध करें और मांस वितरित करें।
इस अवसर पर उपराज्यपाल ने कहा कि यह त्योहार समावेश की भावना का उत्सव है और समाज के सभी वर्गों के बीच उदारता की भावना का समर्थन करता है।
उन्होंने कहा कि इस शुभ अवसर पर मैं लोगों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं और आशा करता हूं कि ईद-उल-अजहा के प्रतीक परोपकार और निस्वार्थ सेवा की भावना शांति और सद्भाव को बढ़ावा देगी।
उपराज्यपाल ने प्रार्थना की कि यह अवसर सभी संप्रदायों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव और सौहार्द के बंधन को और अधिक गहरा करे और सभी के लिए अच्छे स्वास्थ्य के साथ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में प्रगति और समृद्धि लाए।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की बढ़ती स्थिति के मद्देनजर मैं सभी से कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने, कोविड के उचित व्यवहार को प्रदर्शित करने, घर पर ईद की नमाज अदा करने और सुरक्षित रहने का आग्रह करता हूं।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्रियों डॉ फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और अन्य नेताओं ने लोगों को बधाई दी और शांति और समृद्धि की प्रार्थना की।