राजधानी में कोचिंग से जुड़े 7000 टीचिंग और नन टीचिंग स्टाफ की जीविका पर आफत
दयानंद राय
रांची। कोरोना महामारी ने राज्य में चल रहे कोचिंग संस्थानों की कमर तोड़ दी है। हाल ये है कि राजधानी में चल रहे करीब 1600 कोचिंग सेंटर में से 950 कोचिंग सेंटर बंद हो चुके हैं। जो कोचिंग सेंटर बचे हुए हैं उनमें भी ताला लटका हुआ है क्योंकि अनलॉक सिक्स में भी झारखंड सरकार ने अब तक कोचिंग संस्थानों को खोलने की इजाजत नहीं दी है। झारखंड कोचिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील जयसवाल ने बताया कि झारखंड में बड़े-छोटे मिलाकर कुल 10-11 हजार कोचिंग सेंटर संचालित हैं। वहीं अकेले रांची में करीब 1600 कोचिंग संस्थान हैं। इनमें से 950 बंद हो चुके हैं। इस बाबत एनआइबीएम कोचिंग सेंटर के डायरेक्टर एमके गुप्ता ने बताया कि झारखंड में करीब 70,000 हजार लोग कोचिंग के व्यवसाय से जुड़े हैं वहीं राजधानी में 7000 के करीब टीचिंग और नन टीचिंग स्टाफ इससे जुड़े हैं जिनकी जीविका पर आफत है। यही नहीं इससे जुड़े हॉस्टल, लॉज और मेस भी इनके बंद रहने से प्रभावित हुए हैं।
किराये पर चल रहे हैं 80 फीसदी संस्थान
राज्य के 80 फीसदी से अधिक कोचिंग संस्थान किराये पर चल रहे हैं। ऐसे में इन शिक्षण संस्थानों के बंद रहने से होनहार विद्यार्थियों, उनके अभिभावकों और निजी शिक्षकों पर भी प्रतिकूल आर्थिक और शैक्षणिक प्रभाव पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी इन कोचिंग संस्थाओं में पढ़ानेवाले शिक्षकों को हो रही है क्योंकि उनकी आमदनी चौपट हो गयी है। हालत ये है कि किराये पर चल रहे कोचिंग संस्थानों के मालिकों के लिए किराया चुकाना मुश्किल हो गया है।
15 महीने से बंद हैं कोचिंग सेंटर्स
संचालकों ने बताया कि बीते लगभग डेढ़ साल से कोचिंग संस्थान बंद हैं। फरवरी में एक महीने के लिए कोचिंग संस्थान खुले लेकिन फिर से कोरोना के प्रकोप को देखते हुए सभी संस्थानों को बंद करने का आदेश दे दिया गया। राज्य सरकार को अब कोचिंग संस्थानों को खोलने की अनुमति देनी चाहिए क्योंकि जब सिनेमा हॉल खोलने की परमिशन मिल सकती है तो कोचिंग सेंटर को क्यों नहीं खोले जाने की अनुमति मिलनी चाहिए।
सुनील जयसवाल, अध्यक्ष झारखंड कोचिंग एसोसिएशन
राज्य में कोचिंग सेंटर को खोले जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए इनका संचालन किया जायेगा। कोचिंग सेंटर बंद रहने से इससे जुड़े लोगों की आजीविका प्रभावित हो रही है ऐसे मेें सरकार को इसपर ध्यान देना चाहिए।
मनोज कुमार गुप्ता, डायरेक्टर एनआइबीएम
जब सिनेमा घर खोलने की अनुमति दी जा सकती है तो कोचिंग संस्थानों को क्यों बंद रखा जा रहा है। कोचिंग सेंटर में स्कूलों की तुलना में कम स्टूडेंट होते हैं। इसके बाद भी हम पचास फीसदी क्षमता के साथ संचालन करने को तैयार हैं।