बच्चों के सिर पर मां-बाप का साया किसी वरदान से कम नही होता। लेकिन कोरोना के प्रकोप ने इन बच्चों की मुस्कान छिन ली उनसे उनका वरदान छिन लिया। कभी ये बच्चे भी मां के गोद और बाप के कंधों पर बैठकर मुस्कुराते थे। कभी इनके भी सर पर मां और बाप प्यार से हाथ फेरते थे। कभी इनकी भी छोटी-छोटी जिद पुरी हो जाती थी। लेकिन दावन रूपी कोरोना ने इन मासूमों से उनकी उनकी जिंदगी ही छिन ली। उनका मुस्कान छिन गया, उनका प्यार छिन गया।
कोरोना का प्रकोप सिर्फ भारत में ही बल्कि पूरे विश्व में बरपा है। द लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक 21 देशों में 15 लाख से ज्यादा बच्चों ने महामारी के पहले 14 महीनों के दौरान इस जानलेवा वायरस से मां-बाप या उनकी देखभाल करने वालों को खोया है। जिसमें 1 लाख 19 हजार भारत के बच्चे शामिल हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ ड्रग एब्यूस (एनआईडीए) और नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ हेल्थ (एनआईएच) की जांच में कहा गया कि भारत में कोविड-19 की वजह से 25,500 बच्चों ने अपनी मां को और 90,751 ने अपने पिता को खोया है। इनमें 12 बच्चें ऐसे हैं जिनके मां-बाप दोनों की मृत्यु हो गयी। इस जांच में माना गया कि कोरोना के कारण 11,34,000 बच्चों ने अपने माता-पिता या देखभाल करने वाले दादा-दादी को खोया है। जिनमें 10,42,000 बच्चे माता-पिता या दोनों को खो दिया है। हालांकि अधिकांश ने माता-पिता दोनों नहीं खोए हैं।
एनआईएच की प्रेस रिलीज में कहा गया कि कुल मिलाकर 15,62,000 बच्चों ने कम से कम एक माता-पिता या अभिभावक या दादा-दादी के निधन का सामना किया है। इसमें कहा गया कि प्राथमिक देखभाल करने वाले (माता-पिता या अभिभावक या दादा-दादी) को खोने वाले बच्चों की सबसे ज्यादा संख्या वाले देश दक्षिण अफ्रीका, पेरू, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, ब्राजील और मैक्सिको हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 2,898 बच्चों के कस्टोडियल दादा-दादी में से किसी एक की मृत्यु हुई है। वहीं 9 बच्चे ऐसे हैं जिनके दादा-दादी दोनों ही दुनियां से अलविदा हो गए। हालांकि भारत में प्रति 1,000 बच्चों पर माता-पिता और संरक्षक पैरेंट के मरने की दर 0.5 है जो दक्षिण अफ्रीका (6.4), पेरू (14.1), ब्राजील (3.5), कोलंबिया (3.4), मैक्सिको (5.1), रूस (2.0) और यूएस (1.8) जैसे अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है।