आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि असम में आदिवासी चाय श्रमिकों की संख्या लगभग 30 फीसदी है। यदि आदिवासी चाय श्रमिकों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल जायेगा, तो 45 विधानसभा सीटें आरक्षित हो जायेंगी। राज्य में आदिवासी सरकार बनाने में मुख्य भूमिका में आ जायेंगे। इसलिए सत्ता में बैठे असमिया लोग आदिवासी चाय श्रमिकों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं देना चाहते हैं। इतना ही नहीं, हमारी मांगों को लेकर असमिया समुदायों द्वारा हिंसा का शिकार होना पड़ता है। 2019 के चुनाव में भाजपा ने कहा था कि इन्हें एसटी का दर्जा मिलेगा, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई पहल नहीं की गयी है। इस दिशा में भाजपा सरकार कदम उठाये। इधर सीएम हेमंत सोरेन को भी चाहिए कि इस दिशा में कदम उठायें। विधायक बंधु तिर्की शुक्रवार को अपने आवास पर पत्रकारों से बात कर रहे थे।

केंद्रीय घुमकुड़िया के लिए 75 करोड़ का प्रस्ताव
विधायक बंधु तिर्की ने सीएम हेमंत सोरेन से मिल कर केंद्रीय घुमकुड़िया के लिए 75 करोड़ का प्रस्ताव सीएम को दिया गया है। इस पर सीएम भी सहमत हैं। उन्होंने इसे वृहत रूप देने के लिए नयी जमीन भी तलाश करने की बात कही है। विधायक ने कहा कि धुमकुड़िया भवन के निर्माण के बाद यहां आदिवासी कल्चर को बढ़ावा मिलेगा। यहां पर हर तरह के आदिवासी कार्यक्रम किये जा सकेंगे। आदिवासियों के उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगायी जा सकती है। आदिवासी प्रतिभाओं को सम्मान मिलेगा।

सरना कोड को पास कराये केंद्र सरकार
विधायक बंधु तिर्की ने कहा है कि विधानसभा के विशेष सत्र में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरना धर्म कोड लागू करने कर प्रस्ताव लाया था। इसे पारित कर दिया गया है। अब बारी है सांसदों की। इसे लेकर सभी 14 सांसदों को पत्र लिख कर मांग की है कि इसी मानसून सत्र में सरना धर्म कोड जो झारखंड ने पारित किया है, उसे संसद के पटल पर रखा जाये।

एससी-एसटी प्रमोशन पर भी चर्चा
विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि सीएम से एससी-एसटी अफसरों के प्रमोशन पर भी चर्चा की गयी है। बंधु तिर्की ने बताया कि विशेष समिति और सरकार के फैसले के बाद भी जल संसाधन विभाग में प्रमोशन किया गया है। इसे लेकर सीएम को अवगत करया गया। इस प्रमोशन को अविलंब रद्द करने की मांग की गयी। इस पर सीएम सहमत हैं।

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