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    Home»स्पेशल रिपोर्ट»मोदी मंत्रिमंडल में उत्तरप्रदेश सब पर भारी
    स्पेशल रिपोर्ट

    मोदी मंत्रिमंडल में उत्तरप्रदेश सब पर भारी

    sonu kumarBy sonu kumarJuly 9, 2021No Comments5 Mins Read
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    मोदी सरकार का मेगा मंत्रिमंडल विस्तार हो गया है। इसमें सबसे अधिक प्रतिनिधित्व उत्तरप्रदेश को मिला है। संभवत: मोदी सरकार के कार्यकाल के आठ साल में ऐसा पहली बार हुआ है। उत्तरप्रदेश में भाजपा के लोकसभा में 62 और राज्यसभा के 22 सदस्य सहित कुल 84 सांसद हैं। नरेंद्र मोदी पहले से प्रधानमंत्री पद पर हैं। उनके अलावा राज्य के सात नये और सात पुराने को मिला कर 14 सांसदों को मंत्रिमंडल में जगह मिली है। सहयोगी अपना दल (एस) के दो सांसद हैं। उनमें से एक को मंत्री पद दिया गया है। यह मिशन 2020 को भेदने की तैयारी को दिखाता है। उत्तरप्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होना है। उत्तरप्रदेश में मुस्लिम और यादव पर विपक्षियों की नजर है। मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार में दिख रहा है कि भाजपा ने एससी-एसटी वोट को साधने का प्रयास शुरू कर दिया है। सात नये मंत्रियों में से एक को छोड़ बाकी छह एससी-एसटी का प्रतिनिधित्व करते हैं। मंत्रिमंडल विस्तार पर उत्तरप्रदेश के हर क्षेत्र के प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखा गया है। मोदी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार और उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के बीच की कड़ी को तलाशती आजाद सिपाही के राजनीतिक संपादक प्रशांत झा की विशेष रिपोर्ट।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कुनबा 77 मंत्रियों वाला हो गया है। मोदी सरकार में मंगलवार को 43 सांसदों को मंत्री पद की शपथ दिलायी गयी। इनमें में 36 नये चेहरे और 7 पुराने (जिन्हें प्रमोट किया गया) शामिल हैं। नये चेहरों को मिला कर अब उत्तरप्रदेश से 14 मंत्रियों का प्रतिनिधित्व हो गया है। उत्तरप्रदेश में अगले वर्ष चुनाव होना है। कोरोना काल में इलाज में मची अफरा-तफरी और गंगा किनारे लाशों के तैरने के बाद केंद्र और राज्य सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। देश का विपक्ष इस मामले को सिर पर उठा लिया था। राज्य की सत्ता के कथित केंद्रीयकरण और ठाकुरों के बढ़ते दखल के आरोप भी लग रहे थे। पार्टी की अंदरूनी राजनीति में खींचतान की चर्चा। साथ ही भाजपा पर व्यापारियों की पार्टी होने का ठपा। इसे देखते हुए भाजपा ने उत्तरप्रदेश चुनाव से पहले इन तमाम आरोपों को धोने और चुनावी गणित ठीक करने का प्रयास शुरू किया है। इसके लिए मोदी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार का सहारा लिया गया। प्रदेश के सात नये मंत्रियों को शामिल करके पार्टी ने राज्य में जातीय गणित ठीक बैठाने की कोशिश की है। मंत्रिमंडल विस्तार के जरिये दलितों-पिछड़ों और अति पिछड़ों को साधने का प्रयास किया गया। हालांकि इन सबके बीच प्रधानमंत्री अपने गृह प्रदेश गुजरात को भी नहीं भूले। वहां से भी उन्होंने तीन और सांसदों को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया है।

    ओबीसी और पिछड़ों का वोट रखता है मायने
    मंत्रिमंडल विस्तार में वैसे नेताओं को सामने लाया गया है, जिनकी जनता तक पहुंच है। यही कारण है कि मंत्रिमंडल से 12 मंत्रियों को विदा भी किया गया, जो जनता से दूर दिख रहे थे। उत्तरप्रदेश से भी जनता के संपर्क में रहनेवालों को तवज्जो दी गयी है। अगले साल होनेवाले चुनाव को ध्यान में रखते हुए ऐसे लोगों को यूपी से लाया गया है, जिससे अति पिछड़ों और ओबीसी कम्युनिटी के वोटों को साधा जा सके। पार्टी यह बात अच्छी तरह जानती है कि बिना ओबीसी और अति पिछड़ों के समर्थन के उत्तर प्रदेश में सरकार बनाना असंभव है। पिछले चुनाव में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य को चेहरा बना कर उत्तरप्रदेश फतह किया था। वैसे भी जब मुख्य मोर्चे में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी हो तो भाजपा को अपनी छवि पिछड़ा और अति पिछड़ा समर्थक रखनी ही थी। इसी छवि निर्माण के लिए पार्टी ने प्रदेश से नये मंत्रियों में सात में केवल एक सवर्ण को केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में जगह दी।

    क्षेत्रीय संतुलन का रखा गया है ध्यान
    मंत्रिमंडल विस्तार में क्षेत्रीय संतुलन का भी ध्यान रखा गया है। ऐसा प्रयास किया गया है कि उत्तरप्रदेश के हर क्षेत्र से लोगों का प्रतिनिधित्व केंद्रीय मंत्रिमंडल में दिखे। मिर्जापुर विध्यांचल क्षेत्र से अपना दल की अनुप्रिया पटेल को मंत्रिमंडल में एक बार फिर जगह मिली है, वह ओबीसी वर्ग से आती हैं। अनुप्रिया पटेल को मंत्रिमंडल में जगह देने के साथ ही भाजपा ने अपने सहयोगियों को एकजुट रखने का प्रयास किया है। विधानसभा चुनाव लड़ने में सीट बंटवारे में भाजपा इसे भुना भी सकेगी। इसी तरह अवध क्षेत्र में लखनऊ से कौशल किशोर, रूहेल खंड क्षेत्र से बदायूं के बीएल वर्मा, भी एससी वर्ग से ही आते हैं। इसी तरह पश्चिमी उत्तरप्रदेश से आगरा के सांसद एसपी बघेल, बुंदेलखंड क्षेत्र के जालौन से सांसद भानुप्रताप सिंह वर्मा, पूर्वांचल क्षेत्र में महाराजगंज से सांसद पंकज चौधरी भी ओबीसी वर्ग का ही प्रतिनिधित्व करते हैं। बीएल वर्मा लोध (पिछड़ी जाति) समाज से आते हैं। हां इस बार के मंत्रिमंडल विस्तार पर ब्राह्मण वर्ग से भी एक को जगह मिली है। रूहेल खंड क्षेत्र के लिए खीरी से सांसद अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल में जगह मिली है, वह ब्राह्मण हैं।

    मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा व्यूह रचना
    भाजपा बंगाल की तरह उत्तरप्रदेश चुनाव की जमीन खिसकने देना नहीं चाहती। पार्टी का जातिय और क्षेत्रीय समीकरण पर पूरा ध्यान है। पार्टी जानती है कि सवर्ण उसके साथ हैं। मुस्लिम और यादव वोटरों को भाजपा के साथ लाना कठिन है। विपक्ष को इसका जवाब देने के लिए एससी-एसटी और ओबीसी वोट को पक्ष में लाया जा सकता है। मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार को इस मायने में मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। यह मास्टर स्ट्रोक कितना कारगर साबित हुआ, यह तो आनेवाला वक्त बतायेगा। फिलहाल भाजपा उत्तरप्रदेश चुनाव फतह करने के लिए व्यूह रचना में लगी है। इस व्यूह रचना की पहली कड़ी केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में ओबीसी, एससी और एसटी को जगह दे कर पार किया है। उत्तरप्रदेश में भी भाजपा का ही शासन है। अगली कड़ी में योगी मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। उसमें भी वोटरों को साधने के लिहाज से गणित बैठाया जा रहा है, जिससे रही-सही कसर पूरी कर दी जायेगी।

    Uttar Pradesh is heavy on everyone in Modi cabinet
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    sonu kumar

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