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    Home»Breaking News»खरीद ऑर्डर में देरी के लिए कैग ने आर्मी ऑर्डिनेंस कॉर्प पर उठाये सवाल
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    खरीद ऑर्डर में देरी के लिए कैग ने आर्मी ऑर्डिनेंस कॉर्प पर उठाये सवाल

    azad sipahiBy azad sipahiJuly 21, 2022No Comments2 Mins Read
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    • – कुछ मामलों में 301 सप्ताह तक की देरी के लिए सेना आयुध कोर को निशाने पर लिया
    • – समय से निविदा स्वीकार न करने की वजह से 6.75 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा

    नई दिल्ली। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने खरीद ऑर्डर में देरी और अनधिकृत व्यय के लिए सेना की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाये हैं। कैग ने खरीद आदेश के कुछ मामलों में 301 सप्ताह तक की देरी के लिए आर्मी ऑर्डिनेंस कॉर्प (एओसी) को निशाने पर लिया है। संसद के मॉनसून सत्र में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि वैधता अवधि के भीतर निविदा स्वीकार न करने की वजह से 6.75 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च का नुकसान उठाना पड़ा।

    भारतीय सेना को शांति और संघर्ष दोनों समय में रसद आपूर्ति की जिम्मेदारी आर्मी ऑर्डिनेंस कॉर्प के पास है। एओसी के इन्वेंट्री प्रबंधन में रिसेप्शन, भंडारण, संरक्षण, लेखांकन, स्टॉक टेकिंग और आयुध आपूर्ति जारी करना है। कैग ने लोकसभा में पेश की गई रिपोर्ट में समय सीमा के भीतर निविदा स्वीकार न करने पर आवश्यकता से अधिक खरीद लागत के कारण ‘अतिरिक्त खर्च’ के कई मामले उठाये हैं। एक उदाहरण में सीएजी ने कहा कि वैधता अवधि के भीतर निविदा स्वीकार न करने की वजह से दोबारा पूरी प्रक्रिया करनी पड़ी जिससे 6.75 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ा।

    रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसे मौके आए हैं जब केंद्रीय डिपो में केंद्रीय खरीद की दरें पिछले एक से छह महीनों में की गई स्थानीय खरीद दरों से अधिक रही हैं। इस वजह से 4.36 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च हुआ। कैग के अनुसार खरीद एजेंसियां रिपीट ऑर्डर/ऑप्शन क्लॉज का उपयोग करने में विफल रहीं और इसके बजाय नए आपूर्ति ऑर्डर को पहले की तुलना में अधिक कीमतों पर रखा, जिस पर 3.89 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत आई।

    रिपोर्ट में कहा गया कि प्रमुख उपकरणों के एक मामले में आदेश देने और आपूर्ति में देरी से सेना की परिचालन तत्परता को नुकसान पहुंचा है। कुछ आपूर्ति आदेशों में रक्षा खरीद नियमावली की 23 सप्ताह की समय सीमा के विपरीत 301 सप्ताह की देरी देखी गई। सीएजी ने कहा कि निविदा प्रक्रिया समय सीमा के भीतर पूरा करना और आवश्यकता की स्वीकृति हासिल करना दो प्राथमिक क्षेत्र थे, जहां देरी हुई है।

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