Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Monday, May 19
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»विशेष»अजमेर में हिंदू-मुसलिम के बीच दीवार खड़ी करने की साजिश
    विशेष

    अजमेर में हिंदू-मुसलिम के बीच दीवार खड़ी करने की साजिश

    azad sipahiBy azad sipahiJuly 12, 2022No Comments10 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email
    • हेट स्पीच : कुछ खादिमों की जहर उगलती वीडियो-आॅडियो पैदा कर रही समाज में खाई
    • आर्थिक बहिष्कार की घोषणा के बाद वीरान हुआ अजमेर का बाजार
    • होटल और फूल का कारोबार भहराया, बकरीद पर भी रौनक नहीं रही

    अजमेर शरीफ दरगाह के खादिम सलमान चिश्ती की सर तन से जुदा करनेवाली भड़काऊ वीडियो की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि वहां के कुछ और खादिमों की जहर उगलनेवाली आॅडियो ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस पर राष्टÑीय स्तर पर बहस शुरू हो गयी है। आॅडियो ने अजमेर दरगाह के पास सदियों से साथ रह रहे हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विभाजक रेखा खड़ी कर दी है। वहां की गंगा-जमुनी तहजीब को जबरदस्त ठेस पहुंचायी है। इस आॅडियो में हिंदुओं के आर्थिक बहिष्कार की बात कही जा रही है। वायरल आॅडियो में अजमेर दरगाह के कुछ खादिमों ने साफ-साफ कहा है कि हिंदुओं की दुकानों से कोई सामान न खरीदो। उन्हें सबक सिखाओ। उन्हें एक रुपये का भी धंधा न दो। इन्हें तरसा दो। वायरल आॅडियो में हिंदुओं की हिम्मत को चुनौती दी गयी है। धमकी भरे लहजे में कहा गया है कि इन हिंदुओं की यह हिम्मत कैसे हुई नूपुर शर्मा के समर्थन में दुकानें बंद करने की। इससे पहले खादिम सलमान चिश्ती और सरवर चिश्ती ने भी अपनी वीडियो के माध्यम से जहर उगला था। सलमान चिश्ती ने तो यहां तक पेशकश कर दी थी कि जो व्यक्ति नूपुर शर्मा का सर तन से जुदा करेगा, उसे वह अपना मकान लिख देगा। खादिम सरवर चिश्ती ने तो हिंदुस्तान को ही हिलाने की धमकी दे डाली है। जिस तरीके से कन्हैयालाल के कातिलों के तार अजमेर से जुड़ रहे हैं और यहां के कुछ खादिमों की ओर से बार-बार भड़काऊ वीडियो जारी किये जा रहे हैं, वह एक बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहे हैं। इस साजिश में पाकिस्तान के हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता। अजमेर में हिंदुओं के आर्थिक बहिष्कार की अपील का मामला साधारण नहीं है। उसका दुष्परिणाम भी सामने आने लगा है। वहां जानेवाले जायरीनों की संख्या में एकबारगी कमी आ गयी है। उनकी संख्या में बेतहाशा गिरावट दर्ज की जा रही है। जाहिर है, उसका सीधा असर व्यापार पर भी पड़ा है। एक अनुमान के अनुसार फिलहाल वहां की आर्थिक गतिविधि में 90 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है। वहां के दुकानदारों की मानें तो वीडियो का भयानक असर पड़ा है। अजमेर दरगाह में चादर चढ़ाने और सिर झुकानेवालों में लगभग 70 प्रतिशत हिंदू होते थे। धमकी भरे वीडियो और आॅडियो के कारण उनके अंदर दहशत पैदा हो गयी है। हिंदू वहां जाने से कतरा रहे हैं। आज हिंदुओं में उदयपुर के कन्हैया और अमरावती के उमेश कोल्हे के कत्ल का भय और गुस्सा दोनों है। आज अजमेर के होटल वीरान पड़े हैं। फ्लाइट्स के बुक्ड टिकट लोग कैंसिल कर रहे हैं। अजमेर में मौजूदा माहौल से न सिर्फ हिंदू व्यापारियों को इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है, बल्कि मुसलिम दुकानदारों की दुकानें भी खाली हो गयी हैं। ऐसा असर पड़ा है कि वहां बकरीद में भी रौनक नहीं थी। वीडियो और आॅडियो में जहर उगलनेवालों का तो विशेष कुछ नहीं बिगड़ा। एक-दो की तो गिरफ्तारी हुई, लेकिन हेट स्पीच देने वाले गौहर चिश्ती सरीखे खादिम वहां से चलते बने। भारत जैसे देश में हिंदुओं का आर्थिक बहिष्कार का मतलब खुद का बहिष्कार करना है। कैसे कट्टरता के नाम पर समाज में जहर घोला जा रहा है, कैसे समाज में कुछ खादिम एक साजिश के तहत भोले-भाले लागों-युवकों के अंदर घृणा का पाठ पढ़ा रहे हैं और उसका हिंदू और मुसलमान की आर्थिक गतिविधियों पर क्या दुष्प्रभाव पड़ रहा है, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    क्या है आडियो में
    अजमेर दरगाह के दो खादिम फैजल अहमद और खादिम सरवर चिश्ती की जहर भरी आडियो खूब सुर्खियां बटोर रही हैं। आॅडियो में एक खादिम फैजल अहमद बोल रहा है कि यहां के हिंदू गरीब नवाज के नाम पर ही हमसे कमाते हैं। इन्हें नूपुर शर्मा (अश्लील शब्दों का इस्तेमाल) के बजाय हमारा साथ देना चाहिए। इन्हें सबक सिखाने के लिए अब एक ही तरीका है कि जो भी नाला बाजार, दरगाह बाजार में हिंदुओं के मार्केट हैं, उनसे सामान नहीं खरीदा जाये। अपने जायरीनों और रिश्तेदारों तक भी यह सूचना पहुंचा दी जाये कि इनके यहां से कोई कुछ न खरीदे, तब जाकर इन हिंदुओं को बात समझ में आयेगी। वहीं अजमेर दरगाह का एक और खादिम व अंजुमन कमेटी का सचिव सरवर चिश्ती का कहना है कि अजमेर शरीफ के दरगाह बाजार और नाला बाजार के हिंदुओं ने नूपुर शर्मा के समर्थन में जुलूस निकाला और 12 बजे तक दुकानें बंद रखीं। तो आप तमाम हजरात से गुजारिश है कि अपने केजीएन ग्रुप के जरिये तमाम जायरीनों, तमाम गरीब नवाज के आशिकों तक पहुंचा दो कि इन लोगों को तरसा दो। ना तो दरगाह बाजार से कोई भी हिंदू से सामान खरीदे, न ही नाला बाजार से। ये ख्वाजा साहब की दरगाह में आनेवाले जायरीनों के जरिये ही कमाते हैं। आज इनकी इतनी हिम्मत हो गयी कि हमारे सामने ही दुकानें बंद कर रहे हैं। खादिम ने आगे कहा कि हिंदुओं के बहिस्कार की बातें सभी को शेयर करो। जितना हो सके उतना ग्रुप में डालो, ताकि लोग इनसे एक रुपये का भी धंधा ना करें और ये लोग तरस जायें। कुछ दिन पहले सरवर चिश्ती का वीडियो भी वायरल हुआ था। उस वीडियो में वह हिंदुस्तान को हिलाने की बात कह रहा था। एक और वीडियो में ये कह रहे थे कि हम तो शासक थे, हमारे अंदर यह अरमान न पैदा कर दो कि हमें फिर से हुकूमत करनी पड़े। सरवर चिश्ती पीएफआइ का सदस्य भी है। पीएफआइ का कनेक्शन देश में हुई कई हिंसक वारदातों और दंगों से जुड़ा है। सीएए आंदोलन से लेकर किसान आंदोलन, कर्णाटक में हिजाब आंदोलन से लेकर उत्तरप्रदेश की कानपुर हिंसा तक में पीएफआइ का नाम सामने आ चुका है। समाज में जहर घोलनेवाले लोगों को कुछ पुलिस प्रशासनिक अधिकारी भी शह दे रहे हैं। अभी हाल ही में अजमेर दरगाह का एक खादिम सलमान चिश्ती का वीडियो वायरल हुआ था। उसमें उसने नूपुर शर्मा का सिर तन से जुदा करनेवाले को अपना मकान देने की घोषणा की थी। जब वह राजस्थान पुलिस के हत्थे चढ़ा, तो एक डीएसपी साहब उसे बचने का टिप्स देने लगे। उस वीडियो में डीएसपी संदीप सारस्वत सलमान चिश्ती से कह रहे थे कि बोल देना नशे में था, ताकि तुझे बचाया जा सके। वहीं चिश्ती बोल रहा था कि मैंने नशा नहीं किया था। इससे आप समझ सकते हैं कि राजस्थान पुलिस में आजकल क्या चल रहा है। ऐसे कई और वीडियो हैं, जो आपको सोशल मीडिया पर दिख जायेंगे। लेकिन इन वीडियो का अब उल्टा असर दिखने लगा है। नवरात्रि के बाद देश में जितनी भी हिंसा हुई, उसके पीछे एक गहरी साजिश है। हर हिंसा के पीछे एक जैसी कहानी सामने आ रही है।

    अभी हाल ही में झारखंड के गढ़वा के एक स्कूल में प्रार्थना का नियम बदल दिया गया। हाथ जोड़ने के बजाय वहां हाथ बांध कर प्रार्थना करने को मजबूर किया गया था। कहा गया था कि चूंकि उन गांवों में मुसलामानों की आबादी 75 प्रतिशत है, तो नियम बदला जाये। मामले ने तूल पकड़ा तो फिर हाथ जोड़ कर प्रार्थना शुरू हुई। यह भी सामान्य घटना नहीं है। इसके पीछे गहरी साजिश है, जिसके तार निश्चित रूप से दुश्मन मुल्क से जुड़े हैं। अभी-अभी झारखंड के जामताड़ा में 100 से ज्यादा स्कूलों में रविवार के बजाय जुम्मे के दिन यानी शुक्रवार को छुट्टी दी जाने लगी। जिस समय कोरोना काल में स्कूलों में सन्नाटा था, उस समय भी देश विरोधी शक्तियां सक्रिय थीं। उस दरम्यान कई स्कूलों के नाम के आगे उर्दू शब्द जोड़ दिया गया। ब्लैक बोर्ड पर किस दिन खाने में क्या मिलेगा, उसमें शुक्रवार के सामने जुमा लिखा गया है। ये मामले साधारण नहीं हैं। इसे एक साजिश के तहत अंजाम दिया जा रहा है। इसके पीछे कई ताकतें काम कर रही हैं। इस साजिश के बारे में पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियों ने तीन साल पहले ही कैराना की घटना के बाद तैयार किये गये एक विस्तृत दस्तावेज में आशंका व्यक्त कर दी थी। इस दस्तावेज का बड़ा हिस्सा केवल उस साजिश को बेनकाब करता है, जिसके अनुसार अफगानिस्तान से लेकर बांग्लादेश तक एक इस्लामिक कॉरिडोर तैयार करने की बात कही गयी है। इस कॉरिडोर में भारत एक बाधा है, इसलिए यहां की डेमोग्राफी में ही बदलाव की पुरजोर कोशिश जारी है। चाहे अमरावती हो या उदयपुर, बिहार का सीतामढ़ी हो या फिर झारखंड का गढ़वा-लोहरदगा या रांची, हाल के दिनों में जो सांप्रदायिक घटनाएं हुई हैं, सब इसी साजिश का हिस्सा हैं। पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियों ने 9/11 के बाद दुनिया भर में इस्लामी आतंकवाद पर जो विस्तृत दस्तावेज तैयार किया है, उसमें भी इसका उल्लेख किया गया है। एक घटना का जिक्र करना जरूरी हो गया है। हिंदुओं के आराध्यों का उपहास उड़ानेवाला मुहम्मद जुबैर को कौन नहीं जानता। उसे देश और विदेशों में किन-किन लोगों का समर्थन प्राप्त है, यह भी किसी से छिपा नहीं है। लेकिन हैरान करनेवाली बात यह है कि अब जर्मनी जैसा देश उसका समर्थन कर रहा है। पाकिस्तान तो उसे हीरो ही मान रहा है। पाकिस्तान का जुबैर को समर्थन समझ में आता है। और भी 50 देश उसके समर्थन में आ जायें, वह भी समझ में आता है, लेकिन जर्मनी! यह तो गले से नहीं उतर रहा। जर्मनी को भला इस मामले से क्या मतलब हो सकता है। लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय ने उसे सटीक जवाब भी दिया है। कहा, आप अपना देखिये। आपको इससे क्या मतलब। यह हमारा इंटरनल मामला है। जुबैर कोई जर्मनी का सिटीजन तो है नहीं कि आपको चिंता हो रही है। इससे समझा जा सकता है कि साजिश कितनी गहरी है और इसकी जड़ें कहां तक फैली हुई हैं।

    अजमेर दरगाह की मौजूदा स्थिति
    अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर आनेवाले लोगों की संख्या में अचानक से बड़ी गिरावट आ गयी है। यहां तक की बकरीद पर भी दरगाह के आसपास का इलाका सुनसान नजर आया। इसके चलते होटल और फूल कारोबार पर बुरा असर पड़ रहा है। दरगाह बाजार क्षेत्र में करीब 90 फीसदी व्यापार ठप हो चुका है। व्यापारियों ने कम से कम 50 करोड़ रुपये के नुकसान का अंदेशा जताया है। इसकी बड़ी वजह खादिमों द्वारा हिंदुओं को धमकी और उनका आर्थिक बहिष्कार माना जा रहा है। दरअसल, कोरोना काल को छोड़ दिया जाये, तो ईद-उल-अजहा के मौके पर हर दफा अजमेर के दरगाह बाजार में इस कदर भीड़ उमड़ती थी कि पैदल आने-जाने तक में परेशानी होने लगती थी। लेकिन यहां आने वाले जायरीनों (तीर्थयात्रियों) की संख्या पिछले कुछ दिनों से घट कर मात्र 10 प्रतिशत हो गयी है।

    इन घटनाओं के क्रम में एक बात रेखांकित की जा रही है कि देश को अस्थिर करनेवालों की रणनीति में बदलाव आया है। पहले ये शक्तियां देश के महानगरों को निशाना बनाती थीं। उनके केंद्र में महाराष्टÑ, गुजरात, दिल्ली और कोलकाता सरीखे महानगर होते थे। अब उन्होंने अपना फोकस छोटे शहरों और गांवों की तरफ किया है। अब उनकी सूची में कानपुर का बेकनगंज, राजस्थान का करौली, मध्यप्रदेश का खरगौन, झारखंड का लोहरदगा, जामताड़ा और गढ़वा सरीखे शहर हैं। सरकारी स्कूलों के नाम के आगे उर्दू जोड़ देना, प्रार्थना को बदल देना, मनमाने तरीके से छुट्टियों की घोषणा कर देने किसी सामान्य व्यक्ति के दिमाग की उपज नहीं हो सकती। उसे रोजी-रोटी कमाने से फुर्सत कहां है कि वह यह अपील करे कि किसकी दुकान से कौन सामान खरीदे और कौन नहीं खरीदे। वह तो आज भी इनसान इनसान में फर्क नहीं समझता। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि ऐसी शक्तियों पर कड़ी नजर रखी जाये। यह काम सिर्फ पुलिस और प्रशासन के वश की बात नहीं। राजनेताओं से भी इसकी उम्मीद नहीं की जा सकती। अगर उन्हें अपने लाभ-हानि से फुर्सत मिले तब न वे देखेंगे कि कौन समाज में जहर घोल रहा है और कौन डेमोग्राफी चेंज कर रहा है। कौन सरकारी नियम-कायदों को बदलने के उकसा रहा है। ऐसे में 130 करोड़ देशवासी ही अपने देश की रखवाली कर सकते हैं। देशतोड़क शक्तियों की शिनाख्त कर सकते हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि समाज इन देशतोड़क शक्तियों के खिलाफ अपने अंदर जागरूकता लायेगा।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleजोहार’, ‘सभी को नमस्कार’ और ‘की हालचाल छय’
    Next Article 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में अडाणी डेटा नेटवर्क्स, जियो, एयरटेल, वोडाफोन लगाएंगे बोली
    azad sipahi

      Related Posts

      भारत को अब आतंकी घुसपैठ से अलर्ट रहने की जरूरत

      May 19, 2025

      भारत ने मात्र डिफेंसिव मोड में ही चीनी हथियारों की पोल खोल दी, फुस्स हुए सारे हथियार

      May 18, 2025

      तुर्किये! गलती कर दी, ऑपरेशन दोस्त के बदले खंजर चला दिया

      May 17, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • 236 करोड़ से तैयार होगा यूपी का चौथा इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम
      • बांग्लादेश से भारत में घुसे तीन घुसपैठिए गिरफ्तार
      • मुख्यमंत्री ने 315 नवनियुक्त प्रखंड उद्यान पदाधिकारियों को दिया नियुक्ति पत्र
      • सिरसा: अंडर-19 क्रिकेट टीम में देश का प्रतिनिधित्व करेगा कनिष्क चौहान
      • खेलो इंडिया बीच गेम्स की शुरुआत दीव के घोघला बीच पर बीच सॉकर ग्रुप मैचों के साथ हुई
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version