रांची। झारखंड में मॉनसून एक बार फिर से सक्रिय हो गया है। राज्य में पूर्व पश्चिम क्षेत्र में बने मॉनसून ट्रेंच और बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव के कारण पांच जुलाई तक बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग ने बारिश के दौरान वज्रपात को लेकर अलर्ट जारी किया है।

झारखंड में रांची, खूंटी, हजारीबाग, सिमडेगा और पश्चिमी सिंहभूम ठनका के लिए सबसे खतरनाक माना जाता है। ये सभी जिले थंडरिंग जोन में हैं। थंडरिंग जोन की पहली श्रेणी में हजारीबाग है। झारखंड में दो तरह के थंडरिंग जोन हैं। इसमें लो क्लाउड (कम ऊंचाई के बादल) और माइक्रोस्पेरिक थंडरिंग शामिल हैं। लो क्लाउड थंडरिंग धरातल से 80 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर होती है, जबकि माइक्रोस्पेरिक थंडरिंग की गतिविधि धरातल से 80 किलोमीटर से अधिक ऊंचाई पर होती है।

बिजली गिरने से मौत होने पर मृत व्यक्ति के परिजन को चार लाख रुपये देने का प्रावधान है। जानवर की मौत पर 30 हजार रुपये, घर के नुकसान पर 95,500 रुपये, पूर्ण अपंग होने पर चार लाख रुपये और 50 फीसदी अपंग होने पर दो लाख रुपये मुआवजा देने का प्रावधान है।

झारखंड सरकार ने ठनका से बचाव के लिए कई योजनाएं बनायी लेकिन वे धरातल पर नहीं उतर पायीं। सिर्फ देवघर में छह और रांची के नामकुम में एक तड़ित रोधक यंत्र ही लगाया जा सका। योजना के तहत रांची के पहाड़ी मंदिर और जगन्नाथपुर मंदिर में भी तड़ित रोधक यंत्र लगाया जाना था लेकिन अब तक नहीं लग पाया है।

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