झारखंड के मेदिनीनगर ज़िले में कई क्रैशर प्लांट और माइनिंग साइट आज भी संचालित हैं, जिसपर प्रसाशन की नजर नहीं पड़ रही है। अवैध माइनिंग की खबर कवरेज करने वाले पत्रकारों को भी रविवार को निशाना बनाया गया । जानकारी अनुसार चराई पंचायत के बरडीहा में अवैध पत्थर उत्खनन व क्रेसर का फोटो लेकर लौट रहे पत्रकार गौरी शंकर सिंह और राजीव सिन्हा को माइनिंग माफियाओं ने बंधक बना लिया। इस सन्दर्भ मे पीड़ित पत्रकारों के अनुसार हत्या करने की नीयत से पत्थर माफिया ने बंधक बना लिया और जान से मारने की धमकी दी, किसी तरह दोनों पत्रकार जान बचाकर घर लौटे। घटना के उपरांत सोमवार को गौरीशंकर सिंह ने छतरपुर थाना में छह लोगों के खिलाफ आवेदन दिया है। घटना के संबंध में छत्तरपुर थाना प्रभारी ने सोमवार को बताया कि आवेदन मिलने के बाद मामले की प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। सभी आरोपितों के खोजबीन में पुलिस जुट चुकी है। उन्होंने बताया कि माइनिंग वैध है या अवैध यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।

उल्लेखनीय है कि ज़िले के छत्तरपुर अनुमण्डल से सरकार को माइनिंग से 200 करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त होता है। माइनिंग विशेषज्ञ के अनुसार प्रशासन द्वारा अब तक सभी प्लांट को सील करने के बदले जुर्माना वसूल सकता था। इससे सरकार के राजस्व में और वृद्धि होती, प्लांट सील करने से सरकार को सीधा राजस्व का नुकसान है।

माइनिंग विशेषज्ञ का कहना है कि पलामू जोन से सबसे अधिक आयकर सील किये गये माइनिंग साइट संचालकों के द्वारा ही भुगतान किया जाता है, ऐसे में माइनिंग उद्योग को छोटी छोटी खामियों पर जुर्माना के बजाय सील कर देने पर आयकर में राजस्व पर भी बुरा असर पड़ेगा।

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