-राजभवन से वापस किये गये विधेयकों को फिर सदन में लायेगी सरकार
-खतियान आधारित स्थानीय नीति, ओबीसी आरक्षण और मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक किया जायेगा पेश
आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र शुक्रवार से शुरू हो रहा है। यह सत्र 4 अगस्त चलेगा, जिसमें छह दिन बैठकें होंगी। इस दौरान सरकार एक बार फिर से खतियान आधारित स्थानीय नीति, ओबीसी आरक्षण और मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक विधानसभा के पटल पर लायेगी। ये उन विधेयकों में शामिल हैं, जिन्हें पूर्व में विधानसभा से पारित करा कर राजभवन भेजा गया था। इन विधेयकों को लेकर पूर्व में राज्यपाल के स्तर से कई बिंदुओं पर आपत्ति दर्ज करते हुए सरकार को वापस लौटा दिया गया था।
राज्यपाल सचिवालय से संदेश उपलब्ध कराने का आग्रह:
तत्कालीन राज्यपाल के स्तर से स्थानीय व्यक्तियों की झारखंड परिभाषा और ऐसे स्थानीय व्यक्तियों को परिणामी, सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभ प्रदान करने के लिए विधेयक, 2022, भीड़ हिंसा और मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक, 2021 और पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सीमा 27 प्रतिशत करने संबंधी विधेयक को वापस किया गया था। पर राज्य सरकार ने इस बिषय को गंभीर मानते हुए पुन: विधेयक को विधानसभा के पटल पर रखने की योजना बनायी है। इसके लिए राज्यपाल सचिवालय द्वारा लौटाये गये इन विधेयकों को संविधान के अनुच्छेद 200 और झारखंड विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन के नियम-98 (1) के तहत राज्यपाल के संदेश के साथ राज्य सरकार और विधानसभा को उपलब्ध कराये जाने का अनुरोध राज्यपाल सचिवालय से किया है।
क्या कहता है नियम:
विधानसभा से पारित किसी भी विधेयक पर राज्यपाल की सहमति के लिए राज्य सरकार द्वारा राज्यपाल सचिवालय को भेजा जाता है। विधेयक पर राज्यपाल की सहमति या असहमति होने पर राज्यपाल द्वारा उक्त विधेयक को लेकर एक संदेश भी संलग्न रहता है। राज्य सरकार के मुताबिक वापस किये गये इन विधेयकों में राज्यपाल सचिवालय द्वारा संदेश संलग्न नहीं किया गया है। राज्य सरकार इन विधेयकों को विधिवत पुन: विधानसभा में लाने के लिए कार्य कर रही है। राज्य सरकार ने राज्यपाल सचिवालय से उक्त संदेश को उपलब्ध कराने का आग्रह किया है, ताकि सरकार इन विधेयकों को पुन: विधानसभा के पटल पर पेश कर सके।