रांची। रिम्स के सीनियर डॉक्टर समय पर ड्यूटी नहीं आते हैं। इससे मरीजों को ओपीडी में जूनियर डॉक्टरों से ही परामर्श लेना पड़ता है। ताजा मामला सामने आया, जब प्रभारी निदेशक डॉ राजीव गुप्ता ओपीडी का औचक निरीक्षण करने सुबह नौ बजे निकले। रेडियोलॉजी में सिर्फ एक सीनियर डॉक्टर ही मिले, जबकि अन्य सीनियर डॉक्टर उपस्थित नहीं थे।
वहीं, न्यूरोलॉजी विभाग के ओपीडी में कोई भी डॉक्टर नहीं मिला। निरीक्षण के दौरान अन्य कई विभागों के ओपीडी में भी उपस्थिति कम मिली। निदेशक ने इसे गंभीरता से लेते हुए विभागाध्यक्षों के माध्यम से सभी अनुपस्थित डॉक्टरों से स्पष्टीकरण मांगा है। वहीं, चेतावनी भी दी गयी है कि अगर यही हाल रहा तो अगली बार नियमसंगत कार्रवाई की जायेगी। निरीक्षण के समय अधीक्षक डॉ हिरेंद्र बिरुआ और उपाधीक्षक डॉ शैलेश त्रिपाठी भी मौजूद थे।

समय पर नहीं खुला था एआरटी सेंटर
निरीक्षण के दौरान एचआइवी के इलाज के लिए रिम्स में बनाये गये एआरटी सेंटर पर भी बंद मिला। एचआइवी की जांच और दवा के लिए दर्जनों मरीज सेंटर के बाहर इंतजार करते हुए मिले। निदेशक डॉ राजीव गुप्ता से मरीजों ने मौखिक शिकायत भी की। इसके बाद एआरटी सेंटर के प्रभारी से स्पष्टीकरण मांगने का निर्देश जारी किया गया।
सीनियर डॉक्टर ही अगर ड्यूटी के समय का पालन नहीं करेंगे तो जूनियर से क्या अपेक्षा रखा जा सकता है। इस बार चेतावनी देकर छोड़ा गया है, लेकिन अगली बार नियम संगत कार्रवाई की जायेगी।

रिएजेंट खत्म, मरीजों को नहीं मिल सका ब्लड
रांची। रिम्स में मंगलवार को ब्लड टेस्ट करने के काम आने वाली रिएजेंट खत्म होने के चलते बड़ी संख्या में मरीजों को खून नहीं मिल सका। ब्लड बैंक कर्मियों द्वारा मरीजों और उनके परिजनों को बाद में आने को कह चलता कर दिया। सबसे ज्यादा परेशानी अस्पताल में भर्ती गंभीर मरीजों और गर्भवती महिलाओं को हुई। ओटी में सर्जरी के दौरान परिजनों को ब्लड बैंक जाकर लाने को कहा गया, लेकिन वह बाहर ही इंतजार करते देखे गये।

इसके बाद भी जब परेशानी बनी रही तो कुछ देर के बाद परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। इस बीच ब्लड बैंक के काउंटर को भी तोड़ दिया गया। मरीजों के परिजनों और ब्लड बैंक कर्मियों के बीच काफी देर तक नोक-झोंक हुई। हंगामे की वजह से ब्लड लेने के सैंकड़ों आवेदन पड़े रहे। ब्लड बैंक की इंचार्ज डॉ सुषमा ने बताया कि रिएजेंट के लिए इंडेंट किया गया था, लेकिन मंगलवार तक सप्लाई नहीं हुई।
इस बीच रिम्स निदेशक राजीव कुमार गुप्ता ने कहा कि रिएजेंट की सप्लाई एजेंसी के माध्यम से की जा रही है। एजेंसी पुराने बिलों को क्लियर करने का दबाव बना रही है, जबकि किसी भी तरह की भुगतान प्रक्रिया को पूरा करने में वक्त लगता है।

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