बेगूसराय। रंगनायक द लेफ्ट थिएटर जसम बेगूसराय की ओर से बेहद प्रतिभाशील युवा रंगकर्मी यथार्थ सिन्हा के अभिनय के माध्यम से वरिष्ठ रंगकर्मी दीपक सिन्हा के निर्देशन में उनकी कविता-कोलाज पर आधारित नाटक ”पिता” का सफल मंचन बीते रात दिनकर भवन में किया गया।

यह सोलो प्रस्तुति बहुत शानदार रही। नाटक में पिता और पुत्र के अंतर्द्वद, प्रेम, साहचर्य और वैचारिक संघर्ष दिखा। नाटक ने आज की व्यवस्था में दो पीढ़ियों के अंतराल और संबंध को दिखाया गया। इस प्रस्तुति में पिता और पुत्र की यात्रा एक साथ चलती है। एक युवा रंगकर्मी जो रंगमंच को अपना लक्षय मानता है, वह लगातार रंगमंच कर रहा है।

रंगमंच में उसके जीने के लिए कोई ठोस आर्थिक आधार नहीं है। वैचारिक रुप से वह प्रगतिशील विचारधारा को लेकर वह सामाजिक-राजनीतिक संतुलन बनाने को प्रतिबद्ध है। लेकिन, एक मध्यवर्गीय पिता की विचारधारा से वह स्वंय को अलग पाता है। वह अपने पिता से वैचारिक बहस में भी जाता है। वह कहता है कि आप भी सामान्य मध्यवर्गीय पिता की तरह ही हो।

पिता वृद्ध हो चला है तो वह पिता के वृद्धावस्था को महसूस करता है। वह महसूस करता है कि जैसे-जैसे पुत्र बड़ा होता है, पिता मौत के करीब आता है। एक दिन पिता का आदेश होता है कि उसे रंगमंच रंगमंच छोड़ कर बी.टेक. की पढाई करनी है। वह पिता के आदेश का पालन तो करता है, लेकिन स्वंय को रंगमंच से अलग नहीं कर पाता है। पुन: कहता है कि वैचारिक विरोध के बावजूद भी पिता और पुत्र का संबंध बरकरार रहेगा। पूरा नाटक पिता-पुत्र के आंतरिक संघर्ष को रेखांकित करता रहा।

नाटक में बैक ग्राउंड संगीत युवा रंगकर्मी आर्यन सिन्हा का था। व्यवस्था में सहयोग वरिष्ठ रंगकर्मी पंकज वत्स एवं पंकज कुमार सिन्हा कर रहे थे। उद्घाटन वक्तव्य में वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल अंशुमन, साहित्यकार प्रदीप बिहारी, वरिष्ठ कवि शेखर सावंत एवं भगवान प्रसाद सिन्हा ने अपनी बातों को रखा। जबकि अवधेश पासवान, कुंवर कन्हैया, देवेन्द्र कुंवर, लालजी एवं गोपाल ने जनगीत की प्रस्तुति दी। चर्चित कवयित्री मेनका मल्लिक ने हिंदी और मैथिली कविता का वाचन किया। मंच संचालन किया गुंजेश गुंजन ने।

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