बेगूसराय, 13 जुलाई (हि.स.)। बिहार की राजधानी पटना में आंदोलन करने वालों पर लाठी बरसाने तथा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक द्वारा लगातार जारी किए जा रहे दिशा-निर्देशों से शिक्षक ही नहीं, हर किसी में आक्रोश है। माध्यमिक शिक्षक संघ के बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. सुरेश प्रसाद राय ने कहा है कि अध्यापक नियुक्ति नियमावली-2023 के विरुद्ध बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के नेतृत्व में एक भी से 11 जुलाई तक अहिंसक तरीके से आंदोलन चलते आ रहा है। जिसको कुचलने का प्रयास बिहार सरकार के इशारे पर हो रहा है।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने अपने पत्रांक-185, दिनांक-12 जुलाई के द्वारा शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों को डराने, धमकाने एवं दंडात्मक कार्रवाई करने का काम किया जा रहा है। देश में लोकतांत्रिक तरीके से सबको आंदोलन करने का अधिकार है। ऐसे में बिहार सरकार के इशारे पर शिक्षा विभाग अलोकतांत्रिक प्रक्रिया अपना रही है, जो कि पूरी तरह से निंदनीय है।
उन्होंने कहा है कि लगता है बिहार में अघोषित आपातकाल की स्थिति है। सूबे के लाखों शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों ने आकस्मिक अवकाश लेकर 11 जुलाई को धरना में शामिल हुए थे। यह उनका संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकार है। धरना कार्यक्रम जिला प्रशासन के लिखित आदेश के बाद हुआ था। आज विपक्ष के विधायकों एवं भाजपा कार्यकर्ताओं के द्वारा विधानसभा मार्च किया गया था।
लेकिन, बिहार सरकार ने भाजपा के सांसद, विधायकों एवं कार्यकर्ताओं पर बर्बरतापूर्ण तरीके से लाठी चार्ज करा दिया। जिसमें कई भाजपा कार्यकर्ता एवं विधायक गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। जिसकी हम घोर निन्दा करते हैं। पुलिस के बर्बरता पूर्ण कार्यवाही से जहानाबाद के एक भाजपा कार्यकर्ता विजय कुमार सिंह की मौत हो गई है जो अत्यंत पीड़ादायक है।
बिहार सरकार सरकार दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई करे और मृतक के आश्रितों को मुआवजा और नौकरी की घोषणा करे। सरकार सदन के अंदर घोषणा करे कि हम सभी शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों को राज्य कर्मी का दर्जा एवं तदनुसार पुरानी पेंशन योजना लागू करेंगे।
जिला माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष उमानंद चौधरी, सचिव रंजीत कुमार एवं राज्य कार्य समिति सदस्य डॉ. सुदर्शन कुमार ने कहा है कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव द्वारा शिक्षकों एवं कर्मचारियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। सरकार अपने तानाशाही प्रवृत्ति से बाज आए, नहीं तो बिहार में 1974 जैसा आंदोलन होगा, जिसकी सारी जवाबदेही महागठबंधन सरकार की होगी।