रांची। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने एक बार फिर पूर्व सीएम चंपाई सोरेन को लेकर अपनी भावना जाहिर की है। सोशल मीडिया के जरिये इसे शेयर करते कहा है कि वर्तमान सीएम हेमंत सोरेन ने जिस तरह से चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री की कुर्सी से बेदखल किया, वह पीड़ा अब चंपाई के बयानों में दिख रही है। हेमंत सोरेन में असुरक्षा की भावना इस कदर घर कर गयी है कि उन्हें अपने ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और विधायकों पर भरोसा नहीं रहा। हेमंत सोरेन और उनका परिवार झामुमो के आदिवासी नेताओं और कार्यकर्ताओं को सिर्फ दरी बिछाने और झंडा ढोने के योग्य समझता है। बाबूलाल के मुताबिक चंपाई सोरेन ने धीरे-धीरे ही सही, लेकिन सकारात्मक राजनीति की ओर कदम बढ़ाया था। पार्टी कैडरों के बीच चंपाई की बढ़ती स्वीकार्यता देख हेमंत विचलित हो उठे। चंपाई जी के प्रकरण को देख कर अब उम्मीद है कि जल-जंगल-जमीन और झारखंड राज्य का आंदोलन करने वाले आदिवासी नेता, कार्यकर्ता झारखंड की अस्मिता और यहां के संसाधनों को किसी परिवारवादी व्यक्ति के हाथ में नहीं सौंपेंगे।
नियुक्ति में बाधा डालना बन गयी है संस्कृति
बाबूलाल मरांडी ने दूसरे पोस्ट में कहा कि पिछले पांच सालों से जानबूझकर युवाओं की नियुक्ति में बाधा डालना जेएमएम-कांग्रेस सरकार की संस्कृति बन गयी है। नौकरी के लिए कोर्ट-कचहरी से लेकर सड़क पर आंदोलन करते-करते राज्य के लाखों परीक्षार्थी हताश और निराश हो चुके हैं। जनवरी में संपन्न हुई जेएसएससी-सीजीएल की परीक्षा सरकार के संरक्षण में पेपर लीक होने की वजह से रद्द हो गयी थी। दोबारा से परीक्षा आयोजित करने की ओर सरकार एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा पायी है। इंडी गठबंधन की सरकार ने दिखावे का नियुक्ति कैलेंडर जारी कर युवाओं को फिर से धोखा ही दिया है। सरकार युवाओं की मांग पर संज्ञान लेकर यथाशीघ्र अगस्त माह में ही जेएसएससी-सीजीएल की परीक्षा पारदर्शी ढंग से आयोजित करे।