Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, May 25
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»विशेष»झामुमो के लिए बड़ी चुनौती है पांच सीटों पर प्रत्याशियों का चयन
    विशेष

    झामुमो के लिए बड़ी चुनौती है पांच सीटों पर प्रत्याशियों का चयन

    shivam kumarBy shivam kumarJuly 11, 2024No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    विशेष
    झामुमो के लिए बड़ी चुनौती है पांच सीटों पर प्रत्याशियों का चयन
    जोबा, नलिन, लोबिन, सीता और चमरा के उत्तराधिकारियों की तलाश जारी
    हर कीमत पर ये पांच विधानसभा सीट अपने कब्जे में रखना चाहता है झामुमो

    नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
    लोकसभा चुनाव खत्म होने और हेमंत सोरेन के दोबारा झारखंड की कमान संभालने के बाद अब झारखंड मुक्ति मोर्चा में इस बात पर मंथन होने लगा है कि अगले चार-पांच महीने में होनेवाले विधानसभा चुनाव की तैयारी को धार कैसे दी जाये। इसके लिए सबसे पहले उम्मीदवारों के चयन पर ध्यान दिया जा रहा है। झामुमो के लिए कम से कम पांच ऐसी विधानसभा सीटें चुनौती बन कर खड़ी हैं, जहां के विधायक या तो सांसद बन गये हैं या फिर वहां से बागियों ने चुनाव लड़ा था। जोबा मांझी सिंहभूम सीट से सांसद बन चुकी हैं और उनकी मनोहरपुर सीट खाली हो गयी है। इसी तरह नलिन सोरेन दुमका के सांसद बन गये हैं और उनकी शिकारीपाड़ा सीट खाली हो गयी है। इसी तरह बोरियो के विधायक लोबिन हेंब्रम ने राजमहल से, सीता सोरेन ने दुमका से और चमरा लिंडा ने लोहरदगा से बागी प्रत्याशी के रूप में संसदीय चुनाव लड़ा था। इन तीनों को झामुमो से निलंबित किया जा चुका है। तो अब यह सवाल उठ रहा है कि इन सभी पांच विधानसभा सीटों पर झामुमो की तरफ से किसे उतारा जायेगा। विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने और अपनी कैबिनेट का विस्तार करने के बाद से हेमंत सोरेन के सामने यह सवाल मुंह बाये खड़ा है। झामुमो के भीतर इन सीटों पर प्रत्याशियों की सूची को अंतिम रूप दिये जाने का दावा तो किया जा रहा है, लेकिन हकीकत यही है कि इन सीटों पर कोई जिताऊ चेहरा अब तक सामने नहीं आया है। ऐसे में संभावना व्यक्त की जा रही है कि बागियों को माफी देकर दोबारा टिकट दिया जा सकता है, हालांकि हेमंत सोरेन का रुख देख कर ऐसा नहीं लगता है। क्या है इन पांच सीटों का समीकरण और झामुमो कैसे इस चुनौती से पार पा सकेगा, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    झारखंड में विधानसभा चुनाव की गतिविधियां शुरू हो गयी हैं। हेमंत सोरेन ने राज्य की कमान संभालने के बाद से ही राजनीतिक मोर्चे पर काम करना शुरू कर दिया है। उन्हें यह अच्छी तरह पता है कि इस बार का विधानसभा चुनाव बेहद कठिन होनेवाला है, क्योंकि भाजपा ने अपना खोया हुआ गढ़ दोबारा हासिल करने के लिए पूरा जोर लगाया हुआ है और वह सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन को हर मोर्चे पर घेरने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं दे रही है। पांच साल तक सरकार चलाने के बाद झामुमो के नेतृत्व वाला गठबंधन स्वाभाविक तौर पर रक्षात्मक मुद्रा में है, लेकिन वह कई अहम मुद्दों पर भाजपा को घेरने से भी पीछे नहीं हट रहा है। राजनीतिक मोर्चे पर इस झकझूमर में झामुमो के सामने एक बड़ी चुनौती विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग और प्रत्याशियों का चयन है। झामुमो को उन पांच विधानसभा सीटों पर सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जहां के विधायक या तो सांसद बन गये हैं या बागी बन कर संसदीय चुनाव में उतरे थे। इनमें मनोहरपुर की विधायक जोबा मांझी और शिकारीपाड़ा के विधायक नलिन सोरेन का नाम सबसे ऊपर है, क्योंकि ये दोनों क्रमश: सिंहभूम और दुमका सीट से सांसद बन चुके हैं।

    जोबा मांझी और नलिन सोरेन झामुमो के कद्दावर नेता माने जाते हैं और सांसद बनने से पहले विधानसभा चुनाव में अपनी-अपनी सीट से कई बार चुने जा चुके थे। नलिन सोरेन तो खैर कभी चुनाव हारे ही नहीं थे। जोबा मांझी भी लगातार दो बार विधायक रह चुकी थीं। इन दोनों के अलावा झामुमो के सामने बोरियो के विधायक लोबिन हेंब्रम का उत्तराधिकारी चुनने की चुनौती है, जो राजमहल संसदीय सीट से बागी प्रत्याशी के रूप में इस बार चुनाव मैदान में उतरे थे और बुरी तरह पराजित हो गये। इसी तरह जामा से लगातार तीन बार की विधायक सीता सोरेन भी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो गयीं और दुमका संसदीय सीट से चुनाव लड़ कर नलिन सोरेन से हार गयीं। बिशुनपुर के विधायक चमरा लिंडा भी लोहरदगा संसदीय सीट से बागी प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे, लेकिन बुरी तरह पराजित हो गये। जानकारों की मानें, तो झामुमो नेतृत्व यह तय कर चुका है कि इन तीनों बागियों को फिर से अवसर नहीं दिया जायेगा।

    2019 में क्या था इन पांच सीटों का परिणाम
    सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र के तहत आनेवाली मनोहरपुर विधानसभा सीट राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह इलाका जमींदारी प्रथा के दौरान चर्चा में आया। इस क्षेत्र के सारंडा के जंगलों में औषधीय गुणों से युक्त वनस्पतियां पायी जाती हैं। पिछले चुनाव में झामुमो की जोबा मांझी ने यहां से भाजपा के गुरुचरण नायक को 16 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराया था।

    दुमका संसदीय क्षेत्र के तहत आनेवाली शिकारीपाड़ा विधानसभा सीट भी राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। 2019 में यहां से झामुमो के नलिन सोरेन ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने भाजपा के परितोष सोरेन को 29 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराया था।
    दुमका संसदीय क्षेत्र के तहत ही जामा विधानसभा सीट भी आती है, जो झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के दिवंगत पुत्र दुर्गा सोरेन का गढ़ माना जाता है। उनके निधन के बाद यहां से उनकी पत्नी सीता सोरेन ने जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वह भाजपा में शामिल हो गयीं। उन्होंने दुमका संसदीय सीट से चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गयीं। उन्होंने जामा सीट से इस्तीफा दे दिया है। 2019 में सीता सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी के सुरेश मुर्मू को 2426 वोटों के अंतर से हराया था।

    अब बात राजमहल संसदीय क्षेत्र के तहत आनेवाली बोरियो विधानसभा सीट की। यहां से झामुमो के कद्दावर नेता लोबिन हेंब्रम विधायक थे, लेकिन इस बार वह पार्टी से बगावत कर राजमहल संसदीय सीट से बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गये। उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा। झामुमो ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया है। 2019 के चुनाव में लोबिन हेंब्रम ने भारतीय जनता पार्टी के सूर्या हांसदा को 17 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था। यही स्थिति आदिवासी हार्टलैंड के रूप में चर्चित लोहरदगा संसदीय सीट के तहत आनेवाले बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र में है। बिशुनपुर विधानसभा सीट गुमला जिले में आती है। 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो के चमरा लिंडा ने भारतीय जनता पार्टी के अशोक उरांव को 17 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराया था। इस बार चमरा लिंडा लोहरदगा संसदीय सीट से निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में उतरे और हार गये। इधर झामुमो ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।

    झामुमो तलाश रहा जिताऊ उम्मीदवार
    अब झामुमो को इन पांच सीटों पर ऐसे उम्मीदवारों की तलाश है, जो उसके लिए ये सीटें जीत सकें। ये सभी सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं और झामुमो इन्हें किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहेगा। पार्टी के भीतर चर्चा इस बात की भी हो रही है कि बागियों को माफी देकर फिर से चुनाव मैदान में उतारा जाये, हालांकि पार्टी का बड़ा खेमा इसके खिलाफ है। उधर इन सीटों पर झामुमो के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता अभी से ही अपनी गोटी सेट करने में लगे हैं।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleपाकिस्तानी तेज गेंदबाज शाहीन अफरीदी ने टी20 विश्व कप 2024 के दौरान कोचों के साथ किया दुर्व्यवहार
    Next Article हवाला का 2.70 लाख भारतीय करेंसी के साथ नेपाली नागरिक गिरफ्तार
    shivam kumar

      Related Posts

      भारत के ‘कूटनीतिक स्ट्राइक’ से बिलबिलाया पाकिस्तान

      May 25, 2025

      सबको साथ लेकर चलनेवाले नेता थे राजेंद्र सिंह

      May 24, 2025

      सवाल कर राहुल ने स्वीकारा तो कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर करवाई की

      May 23, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • गुजरात, केरल, पंजाब और बंगाल में उपचुनाव की तारीखों का ऐलान; 19 जून को वोटिंग, 23 को आएंगे नतीजे
      • भारत के ‘कूटनीतिक स्ट्राइक’ से बिलबिलाया पाकिस्तान
      • केंद्र और राज्य टीम इंडिया की तरह मिलकर काम करें तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं : प्रधानमंत्री
      • राहुल गांधी ने पुंछ में गोलाबारी के पीड़ितों से की मुलाकात, नुकसान को बताया एक बड़ी त्रासदी
      • नीति आयोग की बैठक में हर घर नल योजना और यमुना के मुद्दे पर भी हुई चर्चाः रेखा गुप्ता
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version