काठमांडू। नेपाल पुलिस और सशस्त्र प्रहरी बल (एपीएफ) के लिए चीन से हथियार खरीदने के लिए सरकार ने 159 करोड़ रूपये बजट की व्यवस्था की है। सरकार ने तीन साल पहले इसी चीनी कंपनी से हथियार खरीद प्रक्रिया को रोक दिया था, अब फिर उसी सौदे को आगे बढ़ाया जा रहा है, जिससे कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं।

हाल ही में नेपाल की संसद से पारित बजट में नेपाल के दोनों पुलिस संगठनों के लिए हथियार खरीदने के लिए 159 करोड़ रूपये के बजट की व्यवस्था की गई है। इस बजट से तीन वर्ष पहले ही हांगकांग स्थित एक चीनी कंपनी से हथियार की खरीद प्रक्रिया को रोक दिया गया था, अब फिर उसी कंपनी से हथियार खरीदने की प्रक्रिया शुरू किए जाने की बात सामने आई है।

गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक पुलिस संगठनों की तरफ से गैर घातक हथियार सामग्री खरीद की सूची गृह मंत्रालय को सौंपी गई थी। इनमें दंगा नियंत्रण करने के लिए रायट कन्ट्रोल गियर, टियर गैस, ब्लैंक फायर, रबड़ बुलेट, मल्टी गैस गन, वाटर कैनन, दमकल, गोताखोर का उपकरण, रबरबोट/मोटरबोट सामग्री थी। अब गृह मंत्रालय ने हांगकांग की चीनी कंपनी से घातक हथियार खरीदने की नई सूची तैयार की है। इनमें नेपाल पुलिस के लिए 1 हजार 9 एमएम का पिस्टल, 1550 शॉटगन, 2 लाख राउंड शॉटगन कार्टिज, 3 लाख राउंड शॉटगन रबड़ बुलेट, 24 हजार सेल टियर गैस और 10 लाख 20 हजार राउंड बारूद वाली गोली खरीदने की पुरानी सूची के मुताबिक प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई है। इसी तरह सशस्त्र प्रहरी बल के लिए 2300 पिस्टल और 2000 शॉटगन खरीद की प्रक्रिया भी आगे बढ़ाई गई है।

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता रामचंद्र तिवारी ने हथियार खरीद के लिए सरकार के बजट में व्यवस्था किए जाने की जानकारी देते हुए खरीद प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की बात स्वीकार की है। हालांकि, चीन के कंपनी से हथियार खरीदने के लिए पुराने टेंडर को ही आगे बढ़ाने की बात पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। हथियार खरीद संबंधी अनुगमन कार्यालय के सहसचिव रामबंधु सुवेदी ने कहा कि तीन साल पहले स्थगित की गई खरीद प्रक्रिया को ही आगे बढ़ाना गैर कानूनी हो सकता है और यह जांच के दायरे में आ सकता है।

तत्कालीन प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउवा के समय में तत्कालीन गृह मंत्री बालकृष्ण खांड और तत्कालीन वित्त मंत्री ने इन हथियारों की खरीद की प्रक्रिया शुरू की थी। बाद में तत्कालीन विपक्षी दल के नेता और वर्तमान समय के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के विरोध किए जाने के बाद इसे स्थगित कर दिया गया था। उस समय नेपाल के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आने के कारण देश में कई चीजों के आयात पर रोक लगा दी गई थी। उसी समय इस हथियार खरीद की प्रक्रिया को भी रोक दिया गया था।

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