पटना। राज्य में तेजी से बढ़ते साइबर अपराध के मामलों का अनुसंधान ठोस और प्रमाणिक तरीके से करने के लिए दो साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशाला बनाने की योजना है। पटना और राजगीर में एक-एक ऐसा विशेष लैब स्थापित करने की तैयारी शुरू हो गई है। वर्तमान में सीआईडी के अंतर्गत कार्यरत फॉरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) के साथ ही इसका संचालन किया जाएगा। इससे संबंधित विस्तृत कार्ययोजना के अमलीजामा पहनाने में सीआईडी लगी हुई है।
साइबर फॉरेंसिक लैब को स्थापित करने के लिए गुजरात के गांधीनगर स्थित नेशनल फॉरेंसिक साइंस विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) की विशेष टीम जल्द ही बिहार आने जा रही है। यह खास संस्थान दोनों साइबर फॉरेंसिक लैब में विशेष कंसल्टेंट भी भूमिका भी निभाएगा। इसकी टीम पुलिस मुख्यालय के सीआईडी विंग के साथ समन्वय स्थापित कर साइबर फॉरेंसिक लैब को स्थापित करने को लेकर सभी महत्वपूर्ण पहलु पर मंथन करेगी।
एनएफएसयू देश की अपनी तरह की एकमात्र विश्वविद्यालय है, जो फॉरेंसिक साइंस अनुसंधान और इससे संबंधित कोर्स की पढ़ाई के लिए खासतौर से जाना जाता है। आपराधिक घटनाओं का अनुसंधान वैज्ञानिक तरीके से करके सभी महत्वपूर्ण साक्षयों को एकत्र करने से संबंधित तमाम आयामों का अध्ययन किया जाता है। बिहार के दोनों लैब की स्थापना एनएफएसयू के विशेषज्ञों की देखरेख में किया जाएगा।
वैज्ञानिक तरीके से होंगे साइबर अनुसंधान
साइबर लैब स्थापित होने से साइबर अपराध से जुड़े तमाम मामलों का अनुसंधान वैज्ञानिक तरीके से हो सकेगा। इससे साक्ष्यों को जुटाने में सहूलियत होगी और किसी मामले के अनुसंधान में प्रमाणिक साक्ष्य जुटाने में आसानी होगी। इनकी मदद से आरोपियों को सजा दिलाने में आसानी होगी। वर्तमान में साइबर अपराध में सबसे महत्वपूर्ण है, इन मामलों में अपराधियों के खिलाफ ठोस साक्ष्य जुटाना। इसमें साइबर फॉरेंसिक लैब की भूमिका काफी अहम होगी। इसके अतिरिक्त साइबर अपराध के जटिल मामलों का अनुसंधान करने में भी यह काफी सहायक साबित होगा। नया कानून बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) के लागू होने के बाद से डिजिटल साक्ष्यों को महत्वपूर्ण सबूत माना जाने लगा है। ऐसे में साइबर मामलों में डिजिटल साक्ष्य एकत्र करने में साइबर लैब की भूमिका बेहद खास होगी।
क्या कहते हैं अधिकारी
इस मामले में एडीजी (सीआईडी) पारसनाथ का कहना है कि बिहार में साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहे हैं। इनका समय पर सटीक अनुसंधान करना पुलिस के समक्ष चुनौती के तौर पर है। इसमें साइबर फॉरेंसिक लैब की भूमिका काफी बढ़ जाती है। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का अवलोकन करना या इनका विश्लेषण करने के लिए इस तरह का विशेष संस्थान और विशेषज्ञों की टीम की सख्त आवश्यकता है। वर्तमान में एक यूनिट काम कर रही है, लेकिन वह नाकाफी है। इसे देखते हुए साइबर फॉरेंसिक लैब की जरूरत समझी जा रही है। सरकार ने इसे स्थापित करने की अनुमति दे दी है। अब इसे लेकर कवायद तेज कर दी गई है।